Surah Maryam - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
كٓهيعٓصٓ
काफ़ हा या ऐन साद
Surah Maryam, Verse 1
ذِكۡرُ رَحۡمَتِ رَبِّكَ عَبۡدَهُۥ زَكَرِيَّآ
ये तुम्हारे परवरदिगार की मेहरबानी का ज़िक्र है जो (उसने) अपने ख़ास बन्दे ज़करिया के साथ की थी
Surah Maryam, Verse 2
إِذۡ نَادَىٰ رَبَّهُۥ نِدَآءً خَفِيّٗا
कि जब ज़करिया ने अपने परवरदिगार को धीमी आवाज़ से पुकारा
Surah Maryam, Verse 3
قَالَ رَبِّ إِنِّي وَهَنَ ٱلۡعَظۡمُ مِنِّي وَٱشۡتَعَلَ ٱلرَّأۡسُ شَيۡبٗا وَلَمۡ أَكُنۢ بِدُعَآئِكَ رَبِّ شَقِيّٗا
(और) अर्ज़ की ऐ मेरे पालने वाले मेरी हड्डियां कमज़ोर हो गई और सर है कि बुढ़ापे की (आग से) भड़क उठा (सेफद हो गया) है और ऐ मेरे पालने वाले मैं तेरी बारगाह में दुआ कर के कभी महरूम नहीं रहा हूँ
Surah Maryam, Verse 4
وَإِنِّي خِفۡتُ ٱلۡمَوَٰلِيَ مِن وَرَآءِي وَكَانَتِ ٱمۡرَأَتِي عَاقِرٗا فَهَبۡ لِي مِن لَّدُنكَ وَلِيّٗا
और मैं अपने (मरने के) बाद अपने वारिसों से सहम जाता हूँ (कि मुबादा दीन को बरबाद करें) और मेरी बीबी उम्मे कुलसूम बिनते इमरान बांझ है पस तू मुझको अपनी बारगाह से एक जाँनशीन फरज़न्द अता फ़रमा
Surah Maryam, Verse 5
يَرِثُنِي وَيَرِثُ مِنۡ ءَالِ يَعۡقُوبَۖ وَٱجۡعَلۡهُ رَبِّ رَضِيّٗا
जो मेरी और याकूब की नस्ल की मीरास का मालिक हो ऐ मेरे परवरदिगार और उसको अपना पसन्दीदा बन्दा बना
Surah Maryam, Verse 6
يَٰزَكَرِيَّآ إِنَّا نُبَشِّرُكَ بِغُلَٰمٍ ٱسۡمُهُۥ يَحۡيَىٰ لَمۡ نَجۡعَل لَّهُۥ مِن قَبۡلُ سَمِيّٗا
खुदा ने फरमाया हम तुमको एक लड़के की खुशख़बरी देते हैं जिसका नाम यहया होगा और हमने उससे पहले किसी को उसका हमनाम नहीं पैदा किया
Surah Maryam, Verse 7
قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِي غُلَٰمٞ وَكَانَتِ ٱمۡرَأَتِي عَاقِرٗا وَقَدۡ بَلَغۡتُ مِنَ ٱلۡكِبَرِ عِتِيّٗا
ज़करिया ने अर्ज़ की या इलाही (भला) मुझे लड़का क्योंकर होगा और हालत ये है कि मेरी बीवी बाँझ है और मैं खुद हद से ज्यादा बुढ़ापे को पहुँच गया हूँ
Surah Maryam, Verse 8
قَالَ كَذَٰلِكَ قَالَ رَبُّكَ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٞ وَقَدۡ خَلَقۡتُكَ مِن قَبۡلُ وَلَمۡ تَكُ شَيۡـٔٗا
(खुदा ने) फ़रमाया ऐसा ही होगा तुम्हारा परवरदिगार फ़रमाता है कि ये बात हम पर (कुछ दुशवार नहीं) आसान है और (तुम अपने को तो ख्याल करो कि) इससे पहले तुमको पैदा किया हालाँकि तुम कुछ भी न थे
Surah Maryam, Verse 9
قَالَ رَبِّ ٱجۡعَل لِّيٓ ءَايَةٗۖ قَالَ ءَايَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ ٱلنَّاسَ ثَلَٰثَ لَيَالٖ سَوِيّٗا
ज़करिया ने अर्ज़ की इलाही मेरे लिए कोई अलामत मुक़र्रर कर दें हुक्म हुआ तुम्हारी पहचान ये है कि तुम तीन रात (दिन) बराबर लोगों से बात नहीं कर सकोगे
Surah Maryam, Verse 10
فَخَرَجَ عَلَىٰ قَوۡمِهِۦ مِنَ ٱلۡمِحۡرَابِ فَأَوۡحَىٰٓ إِلَيۡهِمۡ أَن سَبِّحُواْ بُكۡرَةٗ وَعَشِيّٗا
फिर ज़करिया (अपने इबादत के) हुजरे से अपनी क़ौम के पास (हिदायत देने के लिए) निकले तो उन से इशारा किया कि तुम लोग सुबह व शाम बराबर उसकी तसबीह (व तक़दीस) किया करो
Surah Maryam, Verse 11
يَٰيَحۡيَىٰ خُذِ ٱلۡكِتَٰبَ بِقُوَّةٖۖ وَءَاتَيۡنَٰهُ ٱلۡحُكۡمَ صَبِيّٗا
(ग़रज़ यहया पैदा हुए और हमने उनसे कहा) ऐ यहया किताब (तौरेत) मज़बूती के साथ लो
Surah Maryam, Verse 12
وَحَنَانٗا مِّن لَّدُنَّا وَزَكَوٰةٗۖ وَكَانَ تَقِيّٗا
और हमने उन्हें बचपन ही में अपनी बारगाह से नुबूवत और रहमदिली और पाक़ीज़गी अता फरमाई
Surah Maryam, Verse 13
وَبَرَّۢا بِوَٰلِدَيۡهِ وَلَمۡ يَكُن جَبَّارًا عَصِيّٗا
और वह (ख़ुद भी) परहेज़गार और अपने माँ बाप के हक़ में सआदतमन्द थे और सरकश नाफरमान न थे
Surah Maryam, Verse 14
وَسَلَٰمٌ عَلَيۡهِ يَوۡمَ وُلِدَ وَيَوۡمَ يَمُوتُ وَيَوۡمَ يُبۡعَثُ حَيّٗا
और (हमारी तरफ से) उन पर (बराबर) सलाम है जिस दिन पैदा हुए और जिस दिन मरेंगे और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा खड़े किए जाएँगे
Surah Maryam, Verse 15
وَٱذۡكُرۡ فِي ٱلۡكِتَٰبِ مَرۡيَمَ إِذِ ٱنتَبَذَتۡ مِنۡ أَهۡلِهَا مَكَانٗا شَرۡقِيّٗا
और (ऐ रसूल) कुरान में मरियम का भी तज़किरा करो कि जब वह अपने लोगों से अलग होकर पूरब की तरफ़ वाले मकान में (गुस्ल के वास्ते) जा बैठें
Surah Maryam, Verse 16
فَٱتَّخَذَتۡ مِن دُونِهِمۡ حِجَابٗا فَأَرۡسَلۡنَآ إِلَيۡهَا رُوحَنَا فَتَمَثَّلَ لَهَا بَشَرٗا سَوِيّٗا
फिर उसने उन लोगों से परदा कर लिया तो हमने अपनी रूह (जिबरील) को उन के पास भेजा तो वह अच्छे ख़ासे आदमी की सूरत बनकर उनके सामने आ खड़ा हुआ
Surah Maryam, Verse 17
قَالَتۡ إِنِّيٓ أَعُوذُ بِٱلرَّحۡمَٰنِ مِنكَ إِن كُنتَ تَقِيّٗا
(वह उसको देखकर घबराई और) कहने लगी अगर तू परहेज़गार है तो मैं तुझ से खुदा की पनाह माँगती हूँ
Surah Maryam, Verse 18
قَالَ إِنَّمَآ أَنَا۠ رَسُولُ رَبِّكِ لِأَهَبَ لَكِ غُلَٰمٗا زَكِيّٗا
(मेरे पास से हट जा) जिबरील ने कहा मैं तो साफ़ तुम्हारे परवरदिगार का पैग़मबर (फ़रिश्ता) हूँ ताकि तुमको पाक व पाकीज़ा लड़का अता करूँ
Surah Maryam, Verse 19
قَالَتۡ أَنَّىٰ يَكُونُ لِي غُلَٰمٞ وَلَمۡ يَمۡسَسۡنِي بَشَرٞ وَلَمۡ أَكُ بَغِيّٗا
मरियम ने कहा मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालाँकि किसी मर्द ने मुझे छुआ तक नहीं है औ मैं न बदकार हूँ
Surah Maryam, Verse 20
قَالَ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِ هُوَ عَلَيَّ هَيِّنٞۖ وَلِنَجۡعَلَهُۥٓ ءَايَةٗ لِّلنَّاسِ وَرَحۡمَةٗ مِّنَّاۚ وَكَانَ أَمۡرٗا مَّقۡضِيّٗا
जिबरील ने कहा तुमने कहा ठीक (मगर) तुम्हारे परवरदिगार ने फ़रमाया है कि ये बात (बे बाप के लड़का पैदा करना) मुझ पर आसान है ताकि इसको (पैदा करके) लोगों के वास्ते (अपनी क़ुदरत की) निशानी क़रार दें और अपनी ख़ास रहमत का ज़रिया बनायें
Surah Maryam, Verse 21
۞فَحَمَلَتۡهُ فَٱنتَبَذَتۡ بِهِۦ مَكَانٗا قَصِيّٗا
और ये बात फैसला शुदा है ग़रज़ लड़के के साथ वह आप ही आप हामेला हो गई फिर इसकी वजह से लोगों से अलग एक दूर के मकान में चली गई
Surah Maryam, Verse 22
فَأَجَآءَهَا ٱلۡمَخَاضُ إِلَىٰ جِذۡعِ ٱلنَّخۡلَةِ قَالَتۡ يَٰلَيۡتَنِي مِتُّ قَبۡلَ هَٰذَا وَكُنتُ نَسۡيٗا مَّنسِيّٗا
फिर (जब जनने का वक्त ़क़रीब आया तो दरदे ज़ह) उन्हें एक खजूर के (सूखे) दरख्त की जड़ में ले आया और (बेकसी में शर्म से) कहने लगीं काश मैं इससे पहले मर जाती और (न पैद होकर)
Surah Maryam, Verse 23
فَنَادَىٰهَا مِن تَحۡتِهَآ أَلَّا تَحۡزَنِي قَدۡ جَعَلَ رَبُّكِ تَحۡتَكِ سَرِيّٗا
बिल्कुल भूली बिसरी हो जाती तब जिबरील ने मरियम के पाईन की तरफ़ से आवाज़ दी कि तुम कुढ़ों नहीं देखो तो तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हारे क़रीब ही नीचे एक चश्मा जारी कर दिया है
Surah Maryam, Verse 24
وَهُزِّيٓ إِلَيۡكِ بِجِذۡعِ ٱلنَّخۡلَةِ تُسَٰقِطۡ عَلَيۡكِ رُطَبٗا جَنِيّٗا
और खुरमे की जड़ (पकड़ कर) अपनी तरफ़ हिलाओ तुम पर पक्के-पक्के ताजे खुरमे झड़ पड़ेगें फिर (शौक़ से खुरमे) खाओ
Surah Maryam, Verse 25
فَكُلِي وَٱشۡرَبِي وَقَرِّي عَيۡنٗاۖ فَإِمَّا تَرَيِنَّ مِنَ ٱلۡبَشَرِ أَحَدٗا فَقُولِيٓ إِنِّي نَذَرۡتُ لِلرَّحۡمَٰنِ صَوۡمٗا فَلَنۡ أُكَلِّمَ ٱلۡيَوۡمَ إِنسِيّٗا
और (चश्मे का पानी) पियो और (लड़के से) अपनी ऑंख ठन्डी करो फिर अगर तुम किसी आदमी को देखो (और वह तुमसे कुछ पूछे) तो तुम इशारे से कह देना कि मैंने खुदा के वास्ते रोजे क़ी नज़र की थी तो मैं आज हरगिज़ किसी से बात नहीं कर सकती
Surah Maryam, Verse 26
فَأَتَتۡ بِهِۦ قَوۡمَهَا تَحۡمِلُهُۥۖ قَالُواْ يَٰمَرۡيَمُ لَقَدۡ جِئۡتِ شَيۡـٔٗا فَرِيّٗا
फिर मरियम उस लड़के को अपनी गोद में लिए हुए अपनी क़ौम के पास आयीं वह लोग देखकर कहने लगे ऐ मरियम तुमने तो यक़ीनन बहुत बुरा काम किया
Surah Maryam, Verse 27
يَـٰٓأُخۡتَ هَٰرُونَ مَا كَانَ أَبُوكِ ٱمۡرَأَ سَوۡءٖ وَمَا كَانَتۡ أُمُّكِ بَغِيّٗا
ऐ हारून की बहन न तो तेरा बाप ही बुरा आदमी था और न तो तेरी माँ ही बदकार थी (ये तूने क्या किया)
Surah Maryam, Verse 28
فَأَشَارَتۡ إِلَيۡهِۖ قَالُواْ كَيۡفَ نُكَلِّمُ مَن كَانَ فِي ٱلۡمَهۡدِ صَبِيّٗا
तो मरियम ने उस लड़के की तरफ इशारा किया ( कि जो कुछ पूछना है इससे पूछ लो) और वह लोग बोले भला हम गोद के बच्चे से क्योंकर बात करें
Surah Maryam, Verse 29
قَالَ إِنِّي عَبۡدُ ٱللَّهِ ءَاتَىٰنِيَ ٱلۡكِتَٰبَ وَجَعَلَنِي نَبِيّٗا
(इस पर वह बच्चा कुदरते खुदा से) बोल उठा कि मैं बेशक खुदा का बन्दा हूँ मुझ को उसी ने किताब (इन्जील) अता फरमाई है और मुझ को नबी बनाया
Surah Maryam, Verse 30
وَجَعَلَنِي مُبَارَكًا أَيۡنَ مَا كُنتُ وَأَوۡصَٰنِي بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱلزَّكَوٰةِ مَا دُمۡتُ حَيّٗا
और मै (चाहे) कहीं रहूँ मुझ को मुबारक बनाया और मुझ को जब तक ज़िन्दा रहूँ नमाज़ पढ़ने ज़कात देने की ताकीद की है और मुझ को अपनी वालेदा का फ़रमाबरदार बनाया
Surah Maryam, Verse 31
وَبَرَّۢا بِوَٰلِدَتِي وَلَمۡ يَجۡعَلۡنِي جَبَّارٗا شَقِيّٗا
और (अलहमदोलिल्लाह कि) मुझको सरकश नाफरमान नहीं बनाया
Surah Maryam, Verse 32
وَٱلسَّلَٰمُ عَلَيَّ يَوۡمَ وُلِدتُّ وَيَوۡمَ أَمُوتُ وَيَوۡمَ أُبۡعَثُ حَيّٗا
और (खुदा की तरफ़ से) जिस दिन मैं पैदा हुआ हूँ और जिस दिन मरूँगा मुझ पर सलाम है और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा कर खड़ा किया जाऊँगा
Surah Maryam, Verse 33
ذَٰلِكَ عِيسَى ٱبۡنُ مَرۡيَمَۖ قَوۡلَ ٱلۡحَقِّ ٱلَّذِي فِيهِ يَمۡتَرُونَ
ये है कि मरियम के बेटे ईसा का सच्चा (सच्चा) क़िस्सा जिसमें ये लोग (ख्वाहमख्वाह) शक किया करते हैं
Surah Maryam, Verse 34
مَا كَانَ لِلَّهِ أَن يَتَّخِذَ مِن وَلَدٖۖ سُبۡحَٰنَهُۥٓۚ إِذَا قَضَىٰٓ أَمۡرٗا فَإِنَّمَا يَقُولُ لَهُۥ كُن فَيَكُونُ
खुदा कि लिए ये किसी तरह सज़ावार नहीं कि वह (किसी को) बेटा बनाए वह पाक व पकीज़ा है जब वह किसी काम का करना ठान लेता है तो बस उसको कह देता है कि ''हो जा'' तो वह हो जाता है
Surah Maryam, Verse 35
وَإِنَّ ٱللَّهَ رَبِّي وَرَبُّكُمۡ فَٱعۡبُدُوهُۚ هَٰذَا صِرَٰطٞ مُّسۡتَقِيمٞ
और इसमें तो शक ही नहीं कि खुदा (ही) मेरा (भी) परवरदिगार है और तुम्हारा (भी) परवरदिगार है तो सब के सब उसी की इबादत करो यही (तौहीद) सीधा रास्ता है
Surah Maryam, Verse 36
فَٱخۡتَلَفَ ٱلۡأَحۡزَابُ مِنۢ بَيۡنِهِمۡۖ فَوَيۡلٞ لِّلَّذِينَ كَفَرُواْ مِن مَّشۡهَدِ يَوۡمٍ عَظِيمٍ
(और यही दीन ईसा लेकर आए थे) फिर (काफिरों के) फ़िरकों ने बहम एख़तेलाफ किया तो जिन लोगों ने कुफ्र इख़्तियार किया उनके लिए बड़े (सख्त दिन खुदा के हुज़ूर) हाज़िर होने से ख़राबी है
Surah Maryam, Verse 37
أَسۡمِعۡ بِهِمۡ وَأَبۡصِرۡ يَوۡمَ يَأۡتُونَنَا لَٰكِنِ ٱلظَّـٰلِمُونَ ٱلۡيَوۡمَ فِي ضَلَٰلٖ مُّبِينٖ
जिस दिन ये लोग हमारे हुज़ूर में हाज़िर होंगे क्या कुछ सुनते देखते होंगे मगर आज तो नफ़रमान लोग खुल्लम खुल्ला गुमराही में हैं
Surah Maryam, Verse 38
وَأَنذِرۡهُمۡ يَوۡمَ ٱلۡحَسۡرَةِ إِذۡ قُضِيَ ٱلۡأَمۡرُ وَهُمۡ فِي غَفۡلَةٖ وَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
और (ऐ रसूल) तुम उनको हसरत (अफ़सोस) के दिन से डराओ जब क़तई फैसला कर दिया जाएगा और (इस वक्त तो) ये लोग ग़फलत में (पड़े हैं)
Surah Maryam, Verse 39
إِنَّا نَحۡنُ نَرِثُ ٱلۡأَرۡضَ وَمَنۡ عَلَيۡهَا وَإِلَيۡنَا يُرۡجَعُونَ
और ईमान नहीं लाते इसमें शक नहीं कि (एक दिन) ज़मीन के और जो कुछ उस पर है (उसके) हम ही वारिस होंगे
Surah Maryam, Verse 40
وَٱذۡكُرۡ فِي ٱلۡكِتَٰبِ إِبۡرَٰهِيمَۚ إِنَّهُۥ كَانَ صِدِّيقٗا نَّبِيًّا
(और सब नेस्त व नाबूद हो जाएँगे) और सब के सब हमारी तरफ़ लौटाए जाएँगे और (ऐ रसूल) क़ुरान में इबराहीम का (भी) तज़किरा करो
Surah Maryam, Verse 41
إِذۡ قَالَ لِأَبِيهِ يَـٰٓأَبَتِ لِمَ تَعۡبُدُ مَا لَا يَسۡمَعُ وَلَا يُبۡصِرُ وَلَا يُغۡنِي عَنكَ شَيۡـٔٗا
इसमें शक नहीं कि वह बड़े सच्चे नबी थे जब उन्होंने अपने चचा और मुँह बोले बाप से कहा कि ऐ अब्बा आप क्यों, ऐसी चीज़ (बुत) की परसतिश करते हैं जो ने सुन सकता है और न देख सकता है
Surah Maryam, Verse 42
يَـٰٓأَبَتِ إِنِّي قَدۡ جَآءَنِي مِنَ ٱلۡعِلۡمِ مَا لَمۡ يَأۡتِكَ فَٱتَّبِعۡنِيٓ أَهۡدِكَ صِرَٰطٗا سَوِيّٗا
और न कुछ आपके काम ही आ सकता है ऐ मेरे अब्बा यक़ीनन मेरे पास वह इल्म आ चुका है जो आपके पास नहीं आया तो आप मेरी पैरवी कीजिए मैं आपको (दीन की) सीधी राह दिखा दूँगा
Surah Maryam, Verse 43
يَـٰٓأَبَتِ لَا تَعۡبُدِ ٱلشَّيۡطَٰنَۖ إِنَّ ٱلشَّيۡطَٰنَ كَانَ لِلرَّحۡمَٰنِ عَصِيّٗا
ऐ अब्बा आप शैतान की परसतिश न कीजिए (क्योंकि) शैतान यक़ीनन खुदा का नाफ़रमान (बन्दा) है।
Surah Maryam, Verse 44
يَـٰٓأَبَتِ إِنِّيٓ أَخَافُ أَن يَمَسَّكَ عَذَابٞ مِّنَ ٱلرَّحۡمَٰنِ فَتَكُونَ لِلشَّيۡطَٰنِ وَلِيّٗا
ऐ अब्बा मैं यक़ीनन इससे डरता हूँ कि (मुबादा) खुदा की तरफ से आप पर कोई अज़ाब नाज़िल हो तो (आख़िर) आप शैतान के साथी बन जाईए
Surah Maryam, Verse 45
قَالَ أَرَاغِبٌ أَنتَ عَنۡ ءَالِهَتِي يَـٰٓإِبۡرَٰهِيمُۖ لَئِن لَّمۡ تَنتَهِ لَأَرۡجُمَنَّكَۖ وَٱهۡجُرۡنِي مَلِيّٗا
(आज़र ने) कहा (क्यों) इबराहीम क्या तू मेरे माबूदों को नहीं मानता है अगर तू (इन बातों से) किसी तरह बाज़ न आएगा तो (याद रहे) मैं तुझे संगसार कर दूँगा और तू मेरे पास से हमेशा के लिए दूर हो जा
Surah Maryam, Verse 46
قَالَ سَلَٰمٌ عَلَيۡكَۖ سَأَسۡتَغۡفِرُ لَكَ رَبِّيٓۖ إِنَّهُۥ كَانَ بِي حَفِيّٗا
इबराहीम ने कहा (अच्छा तो) मेरा सलाम लीजिए (मगर इस पर भी) मैं अपने परवरदिगार से आपकी बख्शिश की दुआ करूँगा
Surah Maryam, Verse 47
وَأَعۡتَزِلُكُمۡ وَمَا تَدۡعُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَأَدۡعُواْ رَبِّي عَسَىٰٓ أَلَّآ أَكُونَ بِدُعَآءِ رَبِّي شَقِيّٗا
(क्योंकि) बेशक वह मुझ पर बड़ा मेहरबान है और मैंने आप को (भी) और इन बुतों को (भी) जिन्हें आप लोग खुदा को छोड़कर पूजा करते हैं (सबको) छोड़ा और अपने परवरदिगार ही की इबादत करूँगा उम्मीद है कि मैं अपने परवरदिगार की इबादत से महरूम न रहूँगा
Surah Maryam, Verse 48
فَلَمَّا ٱعۡتَزَلَهُمۡ وَمَا يَعۡبُدُونَ مِن دُونِ ٱللَّهِ وَهَبۡنَا لَهُۥٓ إِسۡحَٰقَ وَيَعۡقُوبَۖ وَكُلّٗا جَعَلۡنَا نَبِيّٗا
ग़रज़ इबराहीम ने उन लोगों को और जिसे ये लोग खुदा को छोड़कर परसतिश किया करते थे छोड़ा तो हमने उन्हें इसहाक़ व याकूब (सी औलाद) अता फ़रमाई और हर एक को नुबूवत के दर्जे पर फ़ायज़ किया
Surah Maryam, Verse 49
وَوَهَبۡنَا لَهُم مِّن رَّحۡمَتِنَا وَجَعَلۡنَا لَهُمۡ لِسَانَ صِدۡقٍ عَلِيّٗا
और उन सबको अपनी रहमत से कुछ इनायत फ़रमाया और हमने उनके लिए आला दर्जे का ज़िक्रे ख़ैर (दुनिया में भी) क़रार दिया
Surah Maryam, Verse 50
وَٱذۡكُرۡ فِي ٱلۡكِتَٰبِ مُوسَىٰٓۚ إِنَّهُۥ كَانَ مُخۡلَصٗا وَكَانَ رَسُولٗا نَّبِيّٗا
और (ऐ रसूल) कुरान में (कुछ) मूसा का (भी) तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह (मेरा) बन्दा और साहिबे किताब व शरीयत नबी था
Surah Maryam, Verse 51
وَنَٰدَيۡنَٰهُ مِن جَانِبِ ٱلطُّورِ ٱلۡأَيۡمَنِ وَقَرَّبۡنَٰهُ نَجِيّٗا
और हमने उनको (कोहे तूर) की दाहिनी तरफ़ से आवाज़ दी और हमने उन्हें राज़ व नियाज़ की बातें करने के लिए अपने क़रीब बुलाया
Surah Maryam, Verse 52
وَوَهَبۡنَا لَهُۥ مِن رَّحۡمَتِنَآ أَخَاهُ هَٰرُونَ نَبِيّٗا
और हमने उन्हें अपनी ख़ास मेहरबानी से उनके भाई हारून को (उनका वज़ीर बनाकर) इनायत फ़रमाया
Surah Maryam, Verse 53
وَٱذۡكُرۡ فِي ٱلۡكِتَٰبِ إِسۡمَٰعِيلَۚ إِنَّهُۥ كَانَ صَادِقَ ٱلۡوَعۡدِ وَكَانَ رَسُولٗا نَّبِيّٗا
(ऐ रसूल) कुरान में इसमाईल का (भी) तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह वायदे के सच्चे थे और भेजे हुए पैग़म्बर थे
Surah Maryam, Verse 54
وَكَانَ يَأۡمُرُ أَهۡلَهُۥ بِٱلصَّلَوٰةِ وَٱلزَّكَوٰةِ وَكَانَ عِندَ رَبِّهِۦ مَرۡضِيّٗا
और अपने घर के लोगों को नमाज़ पढ़ने और ज़कात देने की ताकीद किया करते थे और अपने परवरदिगार की बारगाह में पसन्दीदा थे
Surah Maryam, Verse 55
وَٱذۡكُرۡ فِي ٱلۡكِتَٰبِ إِدۡرِيسَۚ إِنَّهُۥ كَانَ صِدِّيقٗا نَّبِيّٗا
और (ऐ रसूल) कुरान में इदरीस का भी तज़किरा करो इसमें शक नहीं कि वह बड़े सच्चे (बन्दे और) नबी थे
Surah Maryam, Verse 56
وَرَفَعۡنَٰهُ مَكَانًا عَلِيًّا
और हमने उनको बहुत ऊँची जगह (बेहिश्त में) बुलन्द कर (के पहुँचा) दिया
Surah Maryam, Verse 57
أُوْلَـٰٓئِكَ ٱلَّذِينَ أَنۡعَمَ ٱللَّهُ عَلَيۡهِم مِّنَ ٱلنَّبِيِّـۧنَ مِن ذُرِّيَّةِ ءَادَمَ وَمِمَّنۡ حَمَلۡنَا مَعَ نُوحٖ وَمِن ذُرِّيَّةِ إِبۡرَٰهِيمَ وَإِسۡرَـٰٓءِيلَ وَمِمَّنۡ هَدَيۡنَا وَٱجۡتَبَيۡنَآۚ إِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِمۡ ءَايَٰتُ ٱلرَّحۡمَٰنِ خَرُّواْۤ سُجَّدٗاۤ وَبُكِيّٗا۩
ये अम्बिया लोग जिन्हें खुदा ने अपनी नेअमत दी आदमी की औलाद से हैं और उनकी नस्ल से जिन्हें हमने (तूफ़ान के वक्त) नूह के साथ (कश्ती पर) सवारकर लिया था और इबराहीम व याकूब की औलाद से हैं और उन लोगों में से हैं जिनकी हमने हिदायत की और मुन्तिख़ब किया जब उनके सामने खुदा की (नाज़िल की हुई) आयतें पढ़ी जाती थीं तो सजदे में ज़ारोक़तार रोते हुए गिर पड़ते थे (58) सजदा
Surah Maryam, Verse 58
۞فَخَلَفَ مِنۢ بَعۡدِهِمۡ خَلۡفٌ أَضَاعُواْ ٱلصَّلَوٰةَ وَٱتَّبَعُواْ ٱلشَّهَوَٰتِۖ فَسَوۡفَ يَلۡقَوۡنَ غَيًّا
फिर उनके बाद कुछ नाख़लफ (उनके) जानशीन हुए जिन्होंने नमाज़ें खोयी और नफ़सानी ख्वाहिशों के चेले बन बैठे अनक़रीब ही ये लोग (अपनी) गुमराही (के ख़ामयाजे) से जा मिलेंगे
Surah Maryam, Verse 59
إِلَّا مَن تَابَ وَءَامَنَ وَعَمِلَ صَٰلِحٗا فَأُوْلَـٰٓئِكَ يَدۡخُلُونَ ٱلۡجَنَّةَ وَلَا يُظۡلَمُونَ شَيۡـٔٗا
मगर (हाँ) जिसने तौबा कर लिया और अच्छे-अच्छे काम किए तो ऐसे लोग बेहिश्त में दाख़िल होंगे और उन पर कुछ भी जुल्म नहीं किया जाएगा वह सदाबहार बाग़ात में रहेंगे
Surah Maryam, Verse 60
جَنَّـٰتِ عَدۡنٍ ٱلَّتِي وَعَدَ ٱلرَّحۡمَٰنُ عِبَادَهُۥ بِٱلۡغَيۡبِۚ إِنَّهُۥ كَانَ وَعۡدُهُۥ مَأۡتِيّٗا
जिनका खुदा ने अपने बन्दों से ग़ाएबाना वायदा कर लिया है बेशक उसका वायदा पूरा होने वाला है
Surah Maryam, Verse 61
لَّا يَسۡمَعُونَ فِيهَا لَغۡوًا إِلَّا سَلَٰمٗاۖ وَلَهُمۡ رِزۡقُهُمۡ فِيهَا بُكۡرَةٗ وَعَشِيّٗا
वह लोग वहाँ सलाम के सिवा कोई बेहूदा बात सुनेंगे ही नहीं मगर हर तरफ से इस्लाम ही इस्लाम (की आवाज़ आएगी) और वहाँ उनका खाना सुबह व शाम (जिस वक्त चाहेंगे) उनके लिए (तैयार) रहेगा
Surah Maryam, Verse 62
تِلۡكَ ٱلۡجَنَّةُ ٱلَّتِي نُورِثُ مِنۡ عِبَادِنَا مَن كَانَ تَقِيّٗا
यही वह बेिहश्त है कि हमारे बन्दों में से जो परहेज़गार होगा हम उसे उसका वारिस बनायेगे
Surah Maryam, Verse 63
وَمَا نَتَنَزَّلُ إِلَّا بِأَمۡرِ رَبِّكَۖ لَهُۥ مَا بَيۡنَ أَيۡدِينَا وَمَا خَلۡفَنَا وَمَا بَيۡنَ ذَٰلِكَۚ وَمَا كَانَ رَبُّكَ نَسِيّٗا
और (ऐ रसूल) हम लोग फ़रिश्ते आप के परवरदिगार के हुक्म के बग़ैर (दुनिया में) नहीं नाज़िल होते जो कुछ हमारे सामने है और जो कुछ हमारे पीठ पीछे है और जो कुछ उनके दरमियान में है (ग़रज़ सबकुछ) उसी का है
Surah Maryam, Verse 64
رَّبُّ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ وَمَا بَيۡنَهُمَا فَٱعۡبُدۡهُ وَٱصۡطَبِرۡ لِعِبَٰدَتِهِۦۚ هَلۡ تَعۡلَمُ لَهُۥ سَمِيّٗا
और तुम्हारा परवरदिगार कुछ भूलने वाला नहीं है सारे आसमान और ज़मीन का मालिक है और उन चीज़ों का भी जो दोनों के दरमियान में है तो तुम उसकी इबादत करो (और उसकी इबादत पर साबित) क़दम रहो भला तुम्हारे इल्म में उसका कोई हमनाम भी है
Surah Maryam, Verse 65
وَيَقُولُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَءِذَا مَا مِتُّ لَسَوۡفَ أُخۡرَجُ حَيًّا
और (बाज़) आदमी अबी बिन ख़लफ ताज्जुब से कहा करते हैं कि क्या जब मैं मर जाऊँगा तो जल्दी ही जीता जागता (क़ब्र से) निकाला जाऊँगा
Surah Maryam, Verse 66
أَوَلَا يَذۡكُرُ ٱلۡإِنسَٰنُ أَنَّا خَلَقۡنَٰهُ مِن قَبۡلُ وَلَمۡ يَكُ شَيۡـٔٗا
क्या वह (आदमी) उसको नहीं याद करता कि उसको इससे पहले जब वह कुछ भी न था पैदा किया था
Surah Maryam, Verse 67
فَوَرَبِّكَ لَنَحۡشُرَنَّهُمۡ وَٱلشَّيَٰطِينَ ثُمَّ لَنُحۡضِرَنَّهُمۡ حَوۡلَ جَهَنَّمَ جِثِيّٗا
तो वह (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार की (अपनी) क़िस्म हम उनको और शैतान को इकट्ठा करेगे फिर उन सब को जहन्नुम के गिर्दागिर्द घुटनों के बल हाज़िर करेंगे
Surah Maryam, Verse 68
ثُمَّ لَنَنزِعَنَّ مِن كُلِّ شِيعَةٍ أَيُّهُمۡ أَشَدُّ عَلَى ٱلرَّحۡمَٰنِ عِتِيّٗا
फिर हर गिरोह में से ऐसे लोगों को अलग निकाल लेंगे (जो दुनिया में) खुदा से औरों की निस्बत अकड़े-अकड़े फिरते थे
Surah Maryam, Verse 69
ثُمَّ لَنَحۡنُ أَعۡلَمُ بِٱلَّذِينَ هُمۡ أَوۡلَىٰ بِهَا صِلِيّٗا
फिर जो लोग जहन्नुम में झोंके जाएँगे ज्यादा सज़ावार हैं हम उनसे खूब वाक़िफ हैं
Surah Maryam, Verse 70
وَإِن مِّنكُمۡ إِلَّا وَارِدُهَاۚ كَانَ عَلَىٰ رَبِّكَ حَتۡمٗا مَّقۡضِيّٗا
और तुममे से कोई ऐसा नहीं जो जहन्नुम पर से होकर न गुज़रे (क्योंकि पुल सिरात उसी पर है) ये तुम्हारे परवरदिगार पर हेतेमी और लाज़मी (वायदा) है
Surah Maryam, Verse 71
ثُمَّ نُنَجِّي ٱلَّذِينَ ٱتَّقَواْ وَّنَذَرُ ٱلظَّـٰلِمِينَ فِيهَا جِثِيّٗا
फिर हम परहेज़गारों को बचाएँगे और नाफ़रमानों को घुटने के भल उसमें छोड़ देंगे
Surah Maryam, Verse 72
وَإِذَا تُتۡلَىٰ عَلَيۡهِمۡ ءَايَٰتُنَا بَيِّنَٰتٖ قَالَ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ لِلَّذِينَ ءَامَنُوٓاْ أَيُّ ٱلۡفَرِيقَيۡنِ خَيۡرٞ مَّقَامٗا وَأَحۡسَنُ نَدِيّٗا
और जब हमारी वाज़ेए रौशन आयतें उनके सामने पढ़ी जाती हैं तो जिन लोगों ने कुफ़्र किया ईमानवालों से पूछते हैं भला ये तो बताओ कि हम तुम दोनों फरीक़ो में से मरतबे में कौन ज्यादा बेहतर है और किसकी महफिल ज्यादा अच्छी है
Surah Maryam, Verse 73
وَكَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّن قَرۡنٍ هُمۡ أَحۡسَنُ أَثَٰثٗا وَرِءۡيٗا
हालाँकि हमने उनसे पहले बहुत सी जमाअतों को हलाक कर छोड़ा जो उनसे साज़ो सामान और ज़ाहिरी नमूद में कहीं बढ़ चढ़ के थी
Surah Maryam, Verse 74
قُلۡ مَن كَانَ فِي ٱلضَّلَٰلَةِ فَلۡيَمۡدُدۡ لَهُ ٱلرَّحۡمَٰنُ مَدًّاۚ حَتَّىٰٓ إِذَا رَأَوۡاْ مَا يُوعَدُونَ إِمَّا ٱلۡعَذَابَ وَإِمَّا ٱلسَّاعَةَ فَسَيَعۡلَمُونَ مَنۡ هُوَ شَرّٞ مَّكَانٗا وَأَضۡعَفُ جُندٗا
(ऐ रसूल) कह दो कि जो शख्स गुमराही में पड़ा है तो खुदा उसको ढ़ील ही देता चला जाता है यहाँ तक कि उस चीज़ को (अपनी ऑंखों से) देख लेंगे जिनका उनसे वायदा किया गया है या अज़ाब या क़यामत तो उस वक्त उन्हें मालूम हो जाएगा कि मरतबे में कौन बदतर है और लश्कर (जत्थे) में कौन कमज़ोर है (बेकस) है
Surah Maryam, Verse 75
وَيَزِيدُ ٱللَّهُ ٱلَّذِينَ ٱهۡتَدَوۡاْ هُدٗىۗ وَٱلۡبَٰقِيَٰتُ ٱلصَّـٰلِحَٰتُ خَيۡرٌ عِندَ رَبِّكَ ثَوَابٗا وَخَيۡرٞ مَّرَدًّا
और जो लोग राहे रास्त पर हैं खुदा उनकी हिदायत और ज्यादा करता जाता है और बाक़ी रह जाने वाली नेकियाँ तुम्हारे परवरदिगार के नज़दीक सवाब की राह से भी बेहतर है और अन्जाम के ऐतबार से (भी) बेहतर है
Surah Maryam, Verse 76
أَفَرَءَيۡتَ ٱلَّذِي كَفَرَ بِـَٔايَٰتِنَا وَقَالَ لَأُوتَيَنَّ مَالٗا وَوَلَدًا
(ऐ रसूल) क्या तुमने उस शख्स पर भी नज़र की जिसने हमारी आयतों से इन्कार किया और कहने लगा कि (अगर क़यामत हुईतो भी) मुझे माल और औलाद ज़रूर मिलेगी
Surah Maryam, Verse 77
أَطَّلَعَ ٱلۡغَيۡبَ أَمِ ٱتَّخَذَ عِندَ ٱلرَّحۡمَٰنِ عَهۡدٗا
क्या उसे ग़ैब का हाल मालूम हो गया है या उसने खुदा से कोई अहद (व पैमान) ले रखा है हरग़िज नहीं
Surah Maryam, Verse 78
كَلَّاۚ سَنَكۡتُبُ مَا يَقُولُ وَنَمُدُّ لَهُۥ مِنَ ٱلۡعَذَابِ مَدّٗا
जो कुछ ये बकता है (सब) हम सभी से लिखे लेते हैं और उसके लिए और ज्यादा अज़ाब बढ़ाते हैं
Surah Maryam, Verse 79
وَنَرِثُهُۥ مَا يَقُولُ وَيَأۡتِينَا فَرۡدٗا
और वो माल व औलाद की निस्बत बक रहा है हम ही उसके मालिक हो बैठेंगे और ये हमारे पास तनहा आयेगा
Surah Maryam, Verse 80
وَٱتَّخَذُواْ مِن دُونِ ٱللَّهِ ءَالِهَةٗ لِّيَكُونُواْ لَهُمۡ عِزّٗا
और उन लोगों ने खुदा को छोड़कर दूसरे-दूसरे माबूद बना रखे हैं ताकि वह उनकी इज्ज़त के बाएस हों हरग़िज़ नहीं
Surah Maryam, Verse 81
كَلَّاۚ سَيَكۡفُرُونَ بِعِبَادَتِهِمۡ وَيَكُونُونَ عَلَيۡهِمۡ ضِدًّا
(बल्कि) वह माबूद खुद उनकी इबादत से इन्कार करेंगे और (उल्टे) उनके दुशमन हो जाएँगे
Surah Maryam, Verse 82
أَلَمۡ تَرَ أَنَّآ أَرۡسَلۡنَا ٱلشَّيَٰطِينَ عَلَى ٱلۡكَٰفِرِينَ تَؤُزُّهُمۡ أَزّٗا
(ऐ रसूल) क्या तुमने इसी बात को नहीं देखा कि हमने शैतान को काफ़िरों पर छोड़ रखा है कि वह उन्हें बहकाते रहते हैं
Surah Maryam, Verse 83
فَلَا تَعۡجَلۡ عَلَيۡهِمۡۖ إِنَّمَا نَعُدُّ لَهُمۡ عَدّٗا
तो (ऐ रसूल) तुम उन काफिरों पर (नुज़ूले अज़ाब की) जल्दी न करो हम तो बस उनके लिए (अज़ाब) का दिन गिन रहे हैं
Surah Maryam, Verse 84
يَوۡمَ نَحۡشُرُ ٱلۡمُتَّقِينَ إِلَى ٱلرَّحۡمَٰنِ وَفۡدٗا
कि जिस दिन परहेज़गारों को (खुदाए) रहमान के (अपने) सामने मेहमानों की तरह तरह जमा करेंगे
Surah Maryam, Verse 85
وَنَسُوقُ ٱلۡمُجۡرِمِينَ إِلَىٰ جَهَنَّمَ وِرۡدٗا
और गुनेहगारों को जहन्नुम की तरफ प्यासे (जानवरो की तरह हकाँएगे)
Surah Maryam, Verse 86
لَّا يَمۡلِكُونَ ٱلشَّفَٰعَةَ إِلَّا مَنِ ٱتَّخَذَ عِندَ ٱلرَّحۡمَٰنِ عَهۡدٗا
(उस दिन) ये लोग सिफारिश पर भी क़ादिर न होंगे मगर (वहाँ) जिस शख्स ने ख़ुदा से (सिफारिश का) एक़रा ले लिया हो
Surah Maryam, Verse 87
وَقَالُواْ ٱتَّخَذَ ٱلرَّحۡمَٰنُ وَلَدٗا
और (यहूदी) लोग कहते हैं कि खुदा ने (अज़ीज़ को) बेटा बना लिया है
Surah Maryam, Verse 88
لَّقَدۡ جِئۡتُمۡ شَيۡـًٔا إِدّٗا
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि तुमने इतनी बड़ी सख्त बात अपनी तरफ से गढ़ के की है
Surah Maryam, Verse 89
تَكَادُ ٱلسَّمَٰوَٰتُ يَتَفَطَّرۡنَ مِنۡهُ وَتَنشَقُّ ٱلۡأَرۡضُ وَتَخِرُّ ٱلۡجِبَالُ هَدًّا
कि क़रीब है कि आसमान उससे फट पड़े और ज़मीन शिगाफता हो जाए और पहाड़ टुकड़े-टुकडे होकर गिर पड़े
Surah Maryam, Verse 90
أَن دَعَوۡاْ لِلرَّحۡمَٰنِ وَلَدٗا
इस बात से कि उन लोगों ने खुदा के लिए बेटा क़रार दिया
Surah Maryam, Verse 91
وَمَا يَنۢبَغِي لِلرَّحۡمَٰنِ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا
हालाँकि खुदा के लिए ये किसी तरह शायाँ ही नहीं कि वह (किसी को अपना) बेटा बना ले
Surah Maryam, Verse 92
إِن كُلُّ مَن فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضِ إِلَّآ ءَاتِي ٱلرَّحۡمَٰنِ عَبۡدٗا
सारे आसमान व ज़मीन में जितनी चीज़े हैं सब की सब खुदा के सामने बन्दा ही बनकर आने वाली हैं उसने यक़ीनन सबको अपने (इल्म) के अहाते में घेर लिया है
Surah Maryam, Verse 93
لَّقَدۡ أَحۡصَىٰهُمۡ وَعَدَّهُمۡ عَدّٗا
और सबको अच्छी तरह गिन लिया है
Surah Maryam, Verse 94
وَكُلُّهُمۡ ءَاتِيهِ يَوۡمَ ٱلۡقِيَٰمَةِ فَرۡدًا
और ये सब उसके सामने क़यामत के दिन अकेले (अकेले) हाज़िर होंगे
Surah Maryam, Verse 95
إِنَّ ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ سَيَجۡعَلُ لَهُمُ ٱلرَّحۡمَٰنُ وُدّٗا
बेशक जिन लोगों ने ईमान कुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए अनक़रीब ही खुदा उन की मोहब्बत (लोगों के दिलों में) पैदा कर देगा
Surah Maryam, Verse 96
فَإِنَّمَا يَسَّرۡنَٰهُ بِلِسَانِكَ لِتُبَشِّرَ بِهِ ٱلۡمُتَّقِينَ وَتُنذِرَ بِهِۦ قَوۡمٗا لُّدّٗا
(ऐ रसूल) हमने उस कुरान को तुम्हारी (अरबी) जुबान में सिर्फ इसलिए आसान कर दिया है कि तुम उसके ज़रिए से परहेज़गारों को (जन्नत की) खुशख़बरी दो और (अरब की) झगड़ालू क़ौम को (अज़ाबे खुदा से) डराओ
Surah Maryam, Verse 97
وَكَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّن قَرۡنٍ هَلۡ تُحِسُّ مِنۡهُم مِّنۡ أَحَدٍ أَوۡ تَسۡمَعُ لَهُمۡ رِكۡزَۢا
और हमने उनसे पहले कितनी जमाअतों को हलाक कर डाला भला तुम उनमें से किसी को (कहीं देखते हो) उसकी कुछ भनक भी सुनते हो
Surah Maryam, Verse 98