Surah Qaf - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
قٓۚ وَٱلۡقُرۡءَانِ ٱلۡمَجِيدِ
क़ाफ़ क़ुरान मजीद की क़सम (मोहम्मद पैग़म्बर हैं)
Surah Qaf, Verse 1
بَلۡ عَجِبُوٓاْ أَن جَآءَهُم مُّنذِرٞ مِّنۡهُمۡ فَقَالَ ٱلۡكَٰفِرُونَ هَٰذَا شَيۡءٌ عَجِيبٌ
लेकिन इन (काफिरों) को ताज्जुब है कि उन ही में एक (अज़ाब से) डराने वाला (पैग़म्बर) उनके पास आ गया तो कुफ्फ़ार कहने लगे ये तो एक अजीब बात है
Surah Qaf, Verse 2
أَءِذَا مِتۡنَا وَكُنَّا تُرَابٗاۖ ذَٰلِكَ رَجۡعُۢ بَعِيدٞ
भला जब हम मर जाएँगे और (सड़ गल कर) मिटटी हो जाएँगे तो फिर ये दोबार ज़िन्दा होना (अक्ल से) बईद (बात है)
Surah Qaf, Verse 3
قَدۡ عَلِمۡنَا مَا تَنقُصُ ٱلۡأَرۡضُ مِنۡهُمۡۖ وَعِندَنَا كِتَٰبٌ حَفِيظُۢ
उनके जिस्मों से ज़मीन जिस चीज़ को (खा खा कर) कम करती है वह हमको मालूम है और हमारे पास तो तहरीरी याददाश्त किताब लौहे महफूज़ मौजूद है
Surah Qaf, Verse 4
بَلۡ كَذَّبُواْ بِٱلۡحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمۡ فَهُمۡ فِيٓ أَمۡرٖ مَّرِيجٍ
मगर जब उनके पास दीन (हक़) आ पहुँचा तो उन्होने उसे झुठलाया तो वह लोग एक ऐसी बात में उलझे हुए हैं जिसे क़रार नहीं
Surah Qaf, Verse 5
أَفَلَمۡ يَنظُرُوٓاْ إِلَى ٱلسَّمَآءِ فَوۡقَهُمۡ كَيۡفَ بَنَيۡنَٰهَا وَزَيَّنَّـٰهَا وَمَا لَهَا مِن فُرُوجٖ
तो क्या इन लोगों ने अपने ऊपर आसमान की नज़र नहीं की कि हमने उसको क्यों कर बनाया और उसको कैसी ज़ीनत दी और उनसे कहीं शिगाफ्त तक नहीं
Surah Qaf, Verse 6
وَٱلۡأَرۡضَ مَدَدۡنَٰهَا وَأَلۡقَيۡنَا فِيهَا رَوَٰسِيَ وَأَنۢبَتۡنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوۡجِۭ بَهِيجٖ
और ज़मीन को हमने फैलाया और उस पर बोझल पहाड़ रख दिये और इसमें हर तरह की ख़ुशनुमा चीज़ें उगाई ताकि तमाम रूजू लाने वाले
Surah Qaf, Verse 7
تَبۡصِرَةٗ وَذِكۡرَىٰ لِكُلِّ عَبۡدٖ مُّنِيبٖ
(बन्दे) हिदायत और इबरत हासिल करें
Surah Qaf, Verse 8
وَنَزَّلۡنَا مِنَ ٱلسَّمَآءِ مَآءٗ مُّبَٰرَكٗا فَأَنۢبَتۡنَا بِهِۦ جَنَّـٰتٖ وَحَبَّ ٱلۡحَصِيدِ
और हमने आसमान से बरकत वाला पानी बरसाया तो उससे बाग़ (के दरख्त) उगाए और खेती का अनाज और लम्बी लम्बी खजूरें
Surah Qaf, Verse 9
وَٱلنَّخۡلَ بَاسِقَٰتٖ لَّهَا طَلۡعٞ نَّضِيدٞ
जिसका बौर बाहम गुथा हुआ है
Surah Qaf, Verse 10
رِّزۡقٗا لِّلۡعِبَادِۖ وَأَحۡيَيۡنَا بِهِۦ بَلۡدَةٗ مَّيۡتٗاۚ كَذَٰلِكَ ٱلۡخُرُوجُ
(ये सब कुछ) बन्दों की रोज़ी देने के लिए (पैदा किया) और पानी ही से हमने मुर्दा शहर (उफ़तादा ज़मीन) को ज़िन्दा किया
Surah Qaf, Verse 11
كَذَّبَتۡ قَبۡلَهُمۡ قَوۡمُ نُوحٖ وَأَصۡحَٰبُ ٱلرَّسِّ وَثَمُودُ
इसी तरह (क़यामत में मुर्दों को) निकलना होगा उनसे पहले नूह की क़ौम और ख़न्दक़ वालों और (क़ौम) समूद ने अपने अपने पैग़म्बरों को झुठलाया
Surah Qaf, Verse 12
وَعَادٞ وَفِرۡعَوۡنُ وَإِخۡوَٰنُ لُوطٖ
और (क़ौम) आद और फिरऔन और लूत की क़ौम
Surah Qaf, Verse 13
وَأَصۡحَٰبُ ٱلۡأَيۡكَةِ وَقَوۡمُ تُبَّعٖۚ كُلّٞ كَذَّبَ ٱلرُّسُلَ فَحَقَّ وَعِيدِ
और बन के रहने वालों (क़ौम शुऐब) और तुब्बा की क़ौम और (उन) सबने अपने (अपने) पैग़म्बरों को झुठलाया तो हमारा (अज़ाब का) वायदा पूरा हो कर रहा
Surah Qaf, Verse 14
أَفَعَيِينَا بِٱلۡخَلۡقِ ٱلۡأَوَّلِۚ بَلۡ هُمۡ فِي لَبۡسٖ مِّنۡ خَلۡقٖ جَدِيدٖ
तो क्या हम पहली बार पैदा करके थक गये हैं (हरगिज़ नहीं) मगर ये लोग अज़ सरे नौ (दोबारा) पैदा करने की निस्बत शक़ में पड़े हैं
Surah Qaf, Verse 15
وَلَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلۡإِنسَٰنَ وَنَعۡلَمُ مَا تُوَسۡوِسُ بِهِۦ نَفۡسُهُۥۖ وَنَحۡنُ أَقۡرَبُ إِلَيۡهِ مِنۡ حَبۡلِ ٱلۡوَرِيدِ
और बेशक हम ही ने इन्सान को पैदा किया और जो ख्यालात उसके दिल में गुज़रते हैं हम उनको जानते हैं और हम तो उसकी शहरग से भी ज्यादा क़रीब हैं
Surah Qaf, Verse 16
إِذۡ يَتَلَقَّى ٱلۡمُتَلَقِّيَانِ عَنِ ٱلۡيَمِينِ وَعَنِ ٱلشِّمَالِ قَعِيدٞ
जब (वह कोई काम करता हैं तो) दो लिखने वाले (केरामन क़ातेबीन) जो उसके दाहिने बाएं बैठे हैं लिख लेते हैं
Surah Qaf, Verse 17
مَّا يَلۡفِظُ مِن قَوۡلٍ إِلَّا لَدَيۡهِ رَقِيبٌ عَتِيدٞ
कोई बात उसकी ज़बान पर नहीं आती मगर एक निगेहबान उसके पास तैयार रहता है
Surah Qaf, Verse 18
وَجَآءَتۡ سَكۡرَةُ ٱلۡمَوۡتِ بِٱلۡحَقِّۖ ذَٰلِكَ مَا كُنتَ مِنۡهُ تَحِيدُ
मौत की बेहोशी यक़ीनन तारी होगी (जो हम बता देंगे कि) यही तो वह (हालात है) जिससे तू भागा करता था
Surah Qaf, Verse 19
وَنُفِخَ فِي ٱلصُّورِۚ ذَٰلِكَ يَوۡمُ ٱلۡوَعِيدِ
और सूर फूँका जाएगा यही (अज़ाब) के वायदे का दिन है और हर शख़्श (हमारे सामने) (इस तरह) हाज़िर होगा
Surah Qaf, Verse 20
وَجَآءَتۡ كُلُّ نَفۡسٖ مَّعَهَا سَآئِقٞ وَشَهِيدٞ
कि उसके साथ एक (फरिश्ता) हॅका लाने वाला होगा
Surah Qaf, Verse 21
لَّقَدۡ كُنتَ فِي غَفۡلَةٖ مِّنۡ هَٰذَا فَكَشَفۡنَا عَنكَ غِطَآءَكَ فَبَصَرُكَ ٱلۡيَوۡمَ حَدِيدٞ
और एक (आमाल का) गवाह उससे कहा जाएगा कि उस (दिन) से तू ग़फ़लत में पड़ा था तो अब हमने तेरे सामने से पर्दे को हटा दिया तो आज तेरी निगाह बड़ी तेज़ है
Surah Qaf, Verse 22
وَقَالَ قَرِينُهُۥ هَٰذَا مَا لَدَيَّ عَتِيدٌ
और उसका साथी (फ़रिश्ता) कहेगा ये (उसका अमल) जो मेरे पास है
Surah Qaf, Verse 23
أَلۡقِيَا فِي جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِيدٖ
(तब हुक्म होगा कि) तुम दोनों हर सरकश नाशुक्रे को दोज़ख़ में डाल दो
Surah Qaf, Verse 24
مَّنَّاعٖ لِّلۡخَيۡرِ مُعۡتَدٖ مُّرِيبٍ
जो (वाजिब हुकूक से) माल में बुख्ल करने वाला हद से बढ़ने वाला (दीन में) शक़ करने वाला था
Surah Qaf, Verse 25
ٱلَّذِي جَعَلَ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَ فَأَلۡقِيَاهُ فِي ٱلۡعَذَابِ ٱلشَّدِيدِ
जिसने ख़ुदा के साथ दूसरे माबूद बना रखे थे तो अब तुम दोनों इसको सख्त अज़ाब में डाल ही दो
Surah Qaf, Verse 26
۞قَالَ قَرِينُهُۥ رَبَّنَا مَآ أَطۡغَيۡتُهُۥ وَلَٰكِن كَانَ فِي ضَلَٰلِۭ بَعِيدٖ
(उस वक्त) उसका साथी (शैतान) कहेगा परवरदिगार हमने इसको गुमराह नहीं किया था बल्कि ये तो ख़ुद सख्त गुमराही में मुब्तिला था
Surah Qaf, Verse 27
قَالَ لَا تَخۡتَصِمُواْ لَدَيَّ وَقَدۡ قَدَّمۡتُ إِلَيۡكُم بِٱلۡوَعِيدِ
इस पर ख़ुदा फ़रमाएगा हमारे सामने झगड़े न करो मैं तो तुम लोगों को पहले ही (अज़ाब से) डरा चुका था
Surah Qaf, Verse 28
مَا يُبَدَّلُ ٱلۡقَوۡلُ لَدَيَّ وَمَآ أَنَا۠ بِظَلَّـٰمٖ لِّلۡعَبِيدِ
मेरे यहाँ बात बदला नहीं करती और न मैं बन्दों पर (ज़र्रा बराबर) ज़ुल्म करने वाला हूँ
Surah Qaf, Verse 29
يَوۡمَ نَقُولُ لِجَهَنَّمَ هَلِ ٱمۡتَلَأۡتِ وَتَقُولُ هَلۡ مِن مَّزِيدٖ
उस दिन हम दोज़ख़ से पूछेंगे कि तू भर चुकी और वह कहेगी क्या कुछ और भी हैं
Surah Qaf, Verse 30
وَأُزۡلِفَتِ ٱلۡجَنَّةُ لِلۡمُتَّقِينَ غَيۡرَ بَعِيدٍ
और बेहिश्त परहेज़गारों के बिलकुल करीब कर दी जाएगी
Surah Qaf, Verse 31
هَٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِكُلِّ أَوَّابٍ حَفِيظٖ
यही तो वह बेहिश्त है जिसका तुममें से हर एक (ख़ुदा की तरफ़) रूजू करने वाले (हुदूद की) हिफाज़त करने वाले से वायदा किया जाता है
Surah Qaf, Verse 32
مَّنۡ خَشِيَ ٱلرَّحۡمَٰنَ بِٱلۡغَيۡبِ وَجَآءَ بِقَلۡبٖ مُّنِيبٍ
तो जो शख़्श ख़ुदा से बे देखे डरता रहा और ख़ुदा की तरफ़ रूजू करने वाला दिल लेकर आया
Surah Qaf, Verse 33
ٱدۡخُلُوهَا بِسَلَٰمٖۖ ذَٰلِكَ يَوۡمُ ٱلۡخُلُودِ
(उसको हुक्म होगा कि) इसमें सही सलामत दाख़िल हो जाओ यहीं तो हमेशा रहने का दिन है
Surah Qaf, Verse 34
لَهُم مَّا يَشَآءُونَ فِيهَا وَلَدَيۡنَا مَزِيدٞ
इसमें ये लोग जो चाहेंगे उनके लिए हाज़िर है और हमारे यहॉ तो इससे भी ज्यादा है
Surah Qaf, Verse 35
وَكَمۡ أَهۡلَكۡنَا قَبۡلَهُم مِّن قَرۡنٍ هُمۡ أَشَدُّ مِنۡهُم بَطۡشٗا فَنَقَّبُواْ فِي ٱلۡبِلَٰدِ هَلۡ مِن مَّحِيصٍ
और हमने तो इनसे पहले कितनी उम्मतें हलाक कर डाली जो इनसे क़ूवत में कहीं बढ़ कर थीं तो उन लोगों ने (मौत के ख़ौफ से) तमाम शहरों को छान मारा कि भला कहीं भी भागने का ठिकाना है
Surah Qaf, Verse 36
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَذِكۡرَىٰ لِمَن كَانَ لَهُۥ قَلۡبٌ أَوۡ أَلۡقَى ٱلسَّمۡعَ وَهُوَ شَهِيدٞ
इसमें शक़ नहीं कि जो शख़्श (आगाह) दिल रखता है या कान लगाकर हुज़ूरे क़ल्ब से सुनता है उसके लिए इसमें (काफ़ी) नसीहत है
Surah Qaf, Verse 37
وَلَقَدۡ خَلَقۡنَا ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَ وَمَا بَيۡنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٖ وَمَا مَسَّنَا مِن لُّغُوبٖ
और हमने ही यक़ीनन सारे आसमान और ज़मीन और जो कुछ उन दोनों के बीच में है छह: दिन में पैदा किए और थकान तो हमको छुकर भी नहीं गयी
Surah Qaf, Verse 38
فَٱصۡبِرۡ عَلَىٰ مَا يَقُولُونَ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ قَبۡلَ طُلُوعِ ٱلشَّمۡسِ وَقَبۡلَ ٱلۡغُرُوبِ
तो (ऐ रसूल) जो कुछ ये (काफ़िर) लोग किया करते हैं उस पर तुम सब्र करो और आफ़ताब के निकलने से पहले अपने परवरदिगार के हम्द की तस्बीह किया करो
Surah Qaf, Verse 39
وَمِنَ ٱلَّيۡلِ فَسَبِّحۡهُ وَأَدۡبَٰرَ ٱلسُّجُودِ
और थोड़ी देर रात को भी और नमाज़ के बाद भी उसकी तस्बीह करो
Surah Qaf, Verse 40
وَٱسۡتَمِعۡ يَوۡمَ يُنَادِ ٱلۡمُنَادِ مِن مَّكَانٖ قَرِيبٖ
और कान लगा कर सुन रखो कि जिस दिन पुकारने वाला (इसराफ़ील) नज़दीक ही जगह से आवाज़ देगा
Surah Qaf, Verse 41
يَوۡمَ يَسۡمَعُونَ ٱلصَّيۡحَةَ بِٱلۡحَقِّۚ ذَٰلِكَ يَوۡمُ ٱلۡخُرُوجِ
(कि उठो) जिस दिन लोग एक सख्त चीख़ को बाख़ूबी सुन लेगें वही दिन (लोगों) के कब्रों से निकलने का होगा
Surah Qaf, Verse 42
إِنَّا نَحۡنُ نُحۡيِۦ وَنُمِيتُ وَإِلَيۡنَا ٱلۡمَصِيرُ
बेशक हम ही (लोगों को) ज़िन्दा करते हैं और हम ही मारते हैं
Surah Qaf, Verse 43
يَوۡمَ تَشَقَّقُ ٱلۡأَرۡضُ عَنۡهُمۡ سِرَاعٗاۚ ذَٰلِكَ حَشۡرٌ عَلَيۡنَا يَسِيرٞ
और हमारी ही तरफ फिर कर आना है जिस दिन ज़मीन (उनके ऊपर से) फट जाएगी और ये झट पट निकल खड़े होंगे ये उठाना और जमा करना
Surah Qaf, Verse 44
نَّحۡنُ أَعۡلَمُ بِمَا يَقُولُونَۖ وَمَآ أَنتَ عَلَيۡهِم بِجَبَّارٖۖ فَذَكِّرۡ بِٱلۡقُرۡءَانِ مَن يَخَافُ وَعِيدِ
और हम पर बहुत आसान है (ऐ रसूल) ये लोग जो कुछ कहते हैं हम (उसे) ख़ूब जानते हैं और तुम उन पर जब्र तो देते नहीं हो तो जो हमारे (अज़ाब के) वायदे से डरे उसको तुम क़ुरान के ज़रिए नसीहत करते रहो
Surah Qaf, Verse 45