Surah Adh-Dhariyat - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
وَٱلذَّـٰرِيَٰتِ ذَرۡوٗا
उन (हवाओं की क़सम) जो (बादलों को) उड़ा कर तितर बितर कर देती हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 1
فَٱلۡحَٰمِلَٰتِ وِقۡرٗا
फिर (पानी का) बोझ उठाती हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 2
فَٱلۡجَٰرِيَٰتِ يُسۡرٗا
फिर आहिस्ता आहिस्ता चलती हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 3
فَٱلۡمُقَسِّمَٰتِ أَمۡرًا
फिर एक ज़रूरी चीज़ (बारिश) को तक़सीम करती हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 4
إِنَّمَا تُوعَدُونَ لَصَادِقٞ
कि तुम से जो वायदा किया जाता है ज़रूर बिल्कुल सच्चा है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 5
وَإِنَّ ٱلدِّينَ لَوَٰقِعٞ
और (आमाल की) जज़ा (सज़ा) ज़रूर होगी
Surah Adh-Dhariyat, Verse 6
وَٱلسَّمَآءِ ذَاتِ ٱلۡحُبُكِ
और आसमान की क़सम जिसमें रहते हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 7
إِنَّكُمۡ لَفِي قَوۡلٖ مُّخۡتَلِفٖ
कि (ऐ अहले मक्का) तुम लोग एक ऐसी मुख्तलिफ़ बेजोड़ बात में पड़े हो
Surah Adh-Dhariyat, Verse 8
يُؤۡفَكُ عَنۡهُ مَنۡ أُفِكَ
कि उससे वही फेरा जाएगा (गुमराह होगा)
Surah Adh-Dhariyat, Verse 9
قُتِلَ ٱلۡخَرَّـٰصُونَ
जो (ख़ुदा के इल्म में) फेरा जा चुका है अटकल दौड़ाने वाले हलाक हों
Surah Adh-Dhariyat, Verse 10
ٱلَّذِينَ هُمۡ فِي غَمۡرَةٖ سَاهُونَ
जो ग़फलत में भूले हुए (पड़े) हैं पूछते हैं कि जज़ा का दिन कब होगा
Surah Adh-Dhariyat, Verse 11
يَسۡـَٔلُونَ أَيَّانَ يَوۡمُ ٱلدِّينِ
उस दिन (होगा)
Surah Adh-Dhariyat, Verse 12
يَوۡمَ هُمۡ عَلَى ٱلنَّارِ يُفۡتَنُونَ
जब इनको (जहन्नुम की) आग में अज़ाब दिया जाएगा
Surah Adh-Dhariyat, Verse 13
ذُوقُواْ فِتۡنَتَكُمۡ هَٰذَا ٱلَّذِي كُنتُم بِهِۦ تَسۡتَعۡجِلُونَ
(और उनसे कहा जाएगा) अपने अज़ाब का मज़ा चखो ये वही है जिसकी तुम जल्दी मचाया करते थे
Surah Adh-Dhariyat, Verse 14
إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّـٰتٖ وَعُيُونٍ
बेशक परहेज़गार लोग (बेहिश्त के) बाग़ों और चश्मों में (ऐश करते) होगें
Surah Adh-Dhariyat, Verse 15
ءَاخِذِينَ مَآ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡۚ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَبۡلَ ذَٰلِكَ مُحۡسِنِينَ
जो उनका परवरदिगार उन्हें अता करता है ये (ख़ुश ख़ुश) ले रहे हैं ये लोग इससे पहले (दुनिया में) नेको कार थे
Surah Adh-Dhariyat, Verse 16
كَانُواْ قَلِيلٗا مِّنَ ٱلَّيۡلِ مَا يَهۡجَعُونَ
(इबादत की वजह से) रात को बहुत ही कम सोते थे
Surah Adh-Dhariyat, Verse 17
وَبِٱلۡأَسۡحَارِ هُمۡ يَسۡتَغۡفِرُونَ
और पिछले पहर को अपनी मग़फ़िरत की दुआएं करते थे
Surah Adh-Dhariyat, Verse 18
وَفِيٓ أَمۡوَٰلِهِمۡ حَقّٞ لِّلسَّآئِلِ وَٱلۡمَحۡرُومِ
और उनके माल में माँगने वाले और न माँगने वाले (दोनों) का हिस्सा था
Surah Adh-Dhariyat, Verse 19
وَفِي ٱلۡأَرۡضِ ءَايَٰتٞ لِّلۡمُوقِنِينَ
और यक़ीन करने वालों के लिए ज़मीन में (क़ुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 20
وَفِيٓ أَنفُسِكُمۡۚ أَفَلَا تُبۡصِرُونَ
और ख़ुदा तुम में भी हैं तो क्या तुम देखते नहीं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 21
وَفِي ٱلسَّمَآءِ رِزۡقُكُمۡ وَمَا تُوعَدُونَ
और तुम्हारी रोज़ी और जिस चीज़ का तुमसे वायदा किया जाता है आसमान में है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 22
فَوَرَبِّ ٱلسَّمَآءِ وَٱلۡأَرۡضِ إِنَّهُۥ لَحَقّٞ مِّثۡلَ مَآ أَنَّكُمۡ تَنطِقُونَ
तो आसमान व ज़मीन के मालिक की क़सम ये (क़ुरान) बिल्कुल ठीक है जिस तरह तुम बातें करते हो
Surah Adh-Dhariyat, Verse 23
هَلۡ أَتَىٰكَ حَدِيثُ ضَيۡفِ إِبۡرَٰهِيمَ ٱلۡمُكۡرَمِينَ
क्या तुम्हारे पास इबराहीम के मुअज़िज़ मेहमानो (फ़रिश्तों) की भी ख़बर पहुँची है कि जब वह लोग उनके पास आए
Surah Adh-Dhariyat, Verse 24
إِذۡ دَخَلُواْ عَلَيۡهِ فَقَالُواْ سَلَٰمٗاۖ قَالَ سَلَٰمٞ قَوۡمٞ مُّنكَرُونَ
तो कहने लगे (सलामुन अलैकुम) तो इबराहीम ने भी (अलैकुम) सलाम किया (देखा तो) ऐसे लोग जिनसे न जान न पहचान
Surah Adh-Dhariyat, Verse 25
فَرَاغَ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ فَجَآءَ بِعِجۡلٖ سَمِينٖ
फिर अपने घर जाकर जल्दी से (भुना हुआ) एक मोटा ताज़ा बछड़ा ले आए
Surah Adh-Dhariyat, Verse 26
فَقَرَّبَهُۥٓ إِلَيۡهِمۡ قَالَ أَلَا تَأۡكُلُونَ
और उसे उनके आगे रख दिया (फिर) कहने लगे आप लोग तनाउल क्यों नहीं करते
Surah Adh-Dhariyat, Verse 27
فَأَوۡجَسَ مِنۡهُمۡ خِيفَةٗۖ قَالُواْ لَا تَخَفۡۖ وَبَشَّرُوهُ بِغُلَٰمٍ عَلِيمٖ
(इस पर भी न खाया) तो इबराहीम उनसे जो ही जी में डरे वह लोग बोले आप अन्देशा न करें और उनको एक दानिशमन्द लड़के की ख़ुशख़बरी दी
Surah Adh-Dhariyat, Verse 28
فَأَقۡبَلَتِ ٱمۡرَأَتُهُۥ فِي صَرَّةٖ فَصَكَّتۡ وَجۡهَهَا وَقَالَتۡ عَجُوزٌ عَقِيمٞ
तो (ये सुनते ही) इबराहीम की बीवी (सारा) चिल्लाती हुई उनके सामने आयीं और अपना मुँह पीट लिया कहने लगीं (ऐ है) एक तो (मैं) बुढ़िया (उस पर) बांझ
Surah Adh-Dhariyat, Verse 29
قَالُواْ كَذَٰلِكِ قَالَ رَبُّكِۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡحَكِيمُ ٱلۡعَلِيمُ
लड़का क्यों कर होगा फ़रिश्ते बोले तुम्हारे परवरदिगार ने यूँ ही फरमाया है वह बेशक हिकमत वाला वाक़िफ़कार है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 30
۞قَالَ فَمَا خَطۡبُكُمۡ أَيُّهَا ٱلۡمُرۡسَلُونَ
तब इबराहीम ने पूछा कि (ऐ ख़ुदा के) भेजे हुए फरिश्तों आख़िर तुम्हें क्या मुहिम दर पेश है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 31
قَالُوٓاْ إِنَّآ أُرۡسِلۡنَآ إِلَىٰ قَوۡمٖ مُّجۡرِمِينَ
वह बोले हम तो गुनाहगारों (क़ौमे लूत) की तरफ भेजे गए हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 32
لِنُرۡسِلَ عَلَيۡهِمۡ حِجَارَةٗ مِّن طِينٖ
ताकि उन पर मिटटी के पथरीले खरन्जे बरसाएँ
Surah Adh-Dhariyat, Verse 33
مُّسَوَّمَةً عِندَ رَبِّكَ لِلۡمُسۡرِفِينَ
जिन पर हद से बढ़ जाने वालों के लिए तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से निशान लगा दिए गए हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 34
فَأَخۡرَجۡنَا مَن كَانَ فِيهَا مِنَ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
ग़रज़ वहाँ जितने लोग मोमिनीन थे उनको हमने निकाल दिया
Surah Adh-Dhariyat, Verse 35
فَمَا وَجَدۡنَا فِيهَا غَيۡرَ بَيۡتٖ مِّنَ ٱلۡمُسۡلِمِينَ
और वहाँ तो हमने एक के सिवा मुसलमानों का कोई घर पाया भी नहीं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 36
وَتَرَكۡنَا فِيهَآ ءَايَةٗ لِّلَّذِينَ يَخَافُونَ ٱلۡعَذَابَ ٱلۡأَلِيمَ
और जो लोग दर्दनाक अज़ाब से डरते हैं उनके लिए वहाँ (इबरत की) निशानी छोड़ दी और मूसा (के हाल) में भी (निशानी है)
Surah Adh-Dhariyat, Verse 37
وَفِي مُوسَىٰٓ إِذۡ أَرۡسَلۡنَٰهُ إِلَىٰ فِرۡعَوۡنَ بِسُلۡطَٰنٖ مُّبِينٖ
जब हमने उनको फिरऔन के पास खुला हुआ मौजिज़ा देकर भेजा
Surah Adh-Dhariyat, Verse 38
فَتَوَلَّىٰ بِرُكۡنِهِۦ وَقَالَ سَٰحِرٌ أَوۡ مَجۡنُونٞ
तो उसने अपने लशकर के बिरते पर मुँह मोड़ लिया और कहने लगा ये तो (अच्छा ख़ासा) जादूगर या सौदाई है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 39
فَأَخَذۡنَٰهُ وَجُنُودَهُۥ فَنَبَذۡنَٰهُمۡ فِي ٱلۡيَمِّ وَهُوَ مُلِيمٞ
तो हमने उसको और उसके लशकर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में पटक दिया
Surah Adh-Dhariyat, Verse 40
وَفِي عَادٍ إِذۡ أَرۡسَلۡنَا عَلَيۡهِمُ ٱلرِّيحَ ٱلۡعَقِيمَ
और वह तो क़ाबिले मलामत काम करता ही था और आद की क़ौम (के हाल) में भी निशानी है हमने उन पर एक बे बरकत ऑंधी चलायी
Surah Adh-Dhariyat, Verse 41
مَا تَذَرُ مِن شَيۡءٍ أَتَتۡ عَلَيۡهِ إِلَّا جَعَلَتۡهُ كَٱلرَّمِيمِ
कि जिस चीज़ पर चलती उसको बोसीदा हडडी की तरह रेज़ा रेज़ा किए बग़ैर न छोड़ती
Surah Adh-Dhariyat, Verse 42
وَفِي ثَمُودَ إِذۡ قِيلَ لَهُمۡ تَمَتَّعُواْ حَتَّىٰ حِينٖ
और समूद (के हाल) में भी (क़ुदरत की निशानी) है जब उससे कहा गया कि एक ख़ास वक्त तक ख़ूब चैन कर लो
Surah Adh-Dhariyat, Verse 43
فَعَتَوۡاْ عَنۡ أَمۡرِ رَبِّهِمۡ فَأَخَذَتۡهُمُ ٱلصَّـٰعِقَةُ وَهُمۡ يَنظُرُونَ
तो उन्होने अपने परवरदिगार के हुक्म से सरकशी की तो उन्हें एक रोज़ कड़क और बिजली ने ले डाला और देखते ही रह गए
Surah Adh-Dhariyat, Verse 44
فَمَا ٱسۡتَطَٰعُواْ مِن قِيَامٖ وَمَا كَانُواْ مُنتَصِرِينَ
फिर न वह उठने की ताक़त रखते थे और न बदला ही ले सकते थे
Surah Adh-Dhariyat, Verse 45
وَقَوۡمَ نُوحٖ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ قَوۡمٗا فَٰسِقِينَ
और (उनसे) पहले (हम) नूह की क़ौम को (हलाक कर चुके थे) बेशक वह बदकार लोग थे
Surah Adh-Dhariyat, Verse 46
وَٱلسَّمَآءَ بَنَيۡنَٰهَا بِأَيۡيْدٖ وَإِنَّا لَمُوسِعُونَ
और हमने आसमानों को अपने बल बूते से बनाया और बेशक हममें सब क़ुदरत है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 47
وَٱلۡأَرۡضَ فَرَشۡنَٰهَا فَنِعۡمَ ٱلۡمَٰهِدُونَ
और ज़मीन को भी हम ही ने बिछाया तो हम कैसे अच्छे बिछाने वाले हैं
Surah Adh-Dhariyat, Verse 48
وَمِن كُلِّ شَيۡءٍ خَلَقۡنَا زَوۡجَيۡنِ لَعَلَّكُمۡ تَذَكَّرُونَ
और हम ही ने हर चीज़ की दो दो क़िस्में बनायीं ताकि तुम लोग नसीहत हासिल करो
Surah Adh-Dhariyat, Verse 49
فَفِرُّوٓاْ إِلَى ٱللَّهِۖ إِنِّي لَكُم مِّنۡهُ نَذِيرٞ مُّبِينٞ
तो ख़ुदा ही की तरफ़ भागो मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ
Surah Adh-Dhariyat, Verse 50
وَلَا تَجۡعَلُواْ مَعَ ٱللَّهِ إِلَٰهًا ءَاخَرَۖ إِنِّي لَكُم مِّنۡهُ نَذِيرٞ مُّبِينٞ
और ख़ुदा के साथ दूसरा माबूद न बनाओ मैं तुमको यक़ीनन उसकी तरफ से खुल्लम खुल्ला डराने वाला हूँ
Surah Adh-Dhariyat, Verse 51
كَذَٰلِكَ مَآ أَتَى ٱلَّذِينَ مِن قَبۡلِهِم مِّن رَّسُولٍ إِلَّا قَالُواْ سَاحِرٌ أَوۡ مَجۡنُونٌ
इसी तरह उनसे पहले लोगों के पास जो पैग़म्बर आता तो वह उसको जादूगर कहते या सिड़ी दीवाना (बताते)
Surah Adh-Dhariyat, Verse 52
أَتَوَاصَوۡاْ بِهِۦۚ بَلۡ هُمۡ قَوۡمٞ طَاغُونَ
ये लोग एक दूसरे को ऐसी बात की वसीयत करते आते हैं (नहीं) बल्कि ये लोग हैं ही सरकश
Surah Adh-Dhariyat, Verse 53
فَتَوَلَّ عَنۡهُمۡ فَمَآ أَنتَ بِمَلُومٖ
तो (ऐ रसूल) तुम इनसे मुँह फेर लो तुम पर तो कुछ इल्ज़ाम नहीं है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 54
وَذَكِّرۡ فَإِنَّ ٱلذِّكۡرَىٰ تَنفَعُ ٱلۡمُؤۡمِنِينَ
और नसीहत किए जाओ क्योंकि नसीहत मोमिनीन को फायदा देती है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 55
وَمَا خَلَقۡتُ ٱلۡجِنَّ وَٱلۡإِنسَ إِلَّا لِيَعۡبُدُونِ
और मैने जिनों और आदमियों को इसी ग़रज़ से पैदा किया कि वह मेरी इबादत करें
Surah Adh-Dhariyat, Verse 56
مَآ أُرِيدُ مِنۡهُم مِّن رِّزۡقٖ وَمَآ أُرِيدُ أَن يُطۡعِمُونِ
न तो मैं उनसे रोज़ी का तालिब हूँ और न ये चाहता हूँ कि मुझे खाना खिलाएँ
Surah Adh-Dhariyat, Verse 57
إِنَّ ٱللَّهَ هُوَ ٱلرَّزَّاقُ ذُو ٱلۡقُوَّةِ ٱلۡمَتِينُ
ख़ुदा ख़ुद बड़ा रोज़ी देने वाला ज़ोरावर (और) ज़बरदस्त है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 58
فَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُواْ ذَنُوبٗا مِّثۡلَ ذَنُوبِ أَصۡحَٰبِهِمۡ فَلَا يَسۡتَعۡجِلُونِ
तो (इन) ज़ालिमों के वास्ते भी अज़ाब का कुछ हिस्सा है जिस तरह उनके साथियों के लिए हिस्सा था तो इनको हम से जल्दी न करनी चाहिए
Surah Adh-Dhariyat, Verse 59
فَوَيۡلٞ لِّلَّذِينَ كَفَرُواْ مِن يَوۡمِهِمُ ٱلَّذِي يُوعَدُونَ
तो जिस दिन का इन काफ़िरों से वायदा किया जाता है इससे इनके लिए ख़राबी है
Surah Adh-Dhariyat, Verse 60