Surah An-Najm - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
وَٱلنَّجۡمِ إِذَا هَوَىٰ
गवाह है तारा, जब वह नीचे को आए
Surah An-Najm, Verse 1
مَا ضَلَّ صَاحِبُكُمۡ وَمَا غَوَىٰ
तुम्हारी साथी (मुहम्मह सल्ल॰) न गुमराह हुआ और न बहका
Surah An-Najm, Verse 2
وَمَا يَنطِقُ عَنِ ٱلۡهَوَىٰٓ
और न वह अपनी इच्छा से बोलता है
Surah An-Najm, Verse 3
إِنۡ هُوَ إِلَّا وَحۡيٞ يُوحَىٰ
वह तो बस एक प्रकाशना है, जो की जा रही है
Surah An-Najm, Verse 4
عَلَّمَهُۥ شَدِيدُ ٱلۡقُوَىٰ
उसे बड़ी शक्तियोंवाले ने सिखाया
Surah An-Najm, Verse 5
ذُو مِرَّةٖ فَٱسۡتَوَىٰ
स्थिर रीतिवाले ने।
Surah An-Najm, Verse 6
وَهُوَ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡأَعۡلَىٰ
अतः वह भरपूर हुआ, इस हाल में कि वह क्षितिज के उच्चतम छोर पर है
Surah An-Najm, Verse 7
ثُمَّ دَنَا فَتَدَلَّىٰ
फिर वह निकट हुआ और उतर गया
Surah An-Najm, Verse 8
فَكَانَ قَابَ قَوۡسَيۡنِ أَوۡ أَدۡنَىٰ
अब दो कमानों के बराबर या उससे भी अधिक निकट हो गया
Surah An-Najm, Verse 9
فَأَوۡحَىٰٓ إِلَىٰ عَبۡدِهِۦ مَآ أَوۡحَىٰ
तब उसने अपने बन्दे की ओर प्रकाशना की, जो कुछ प्रकाशना की।
Surah An-Najm, Verse 10
مَا كَذَبَ ٱلۡفُؤَادُ مَا رَأَىٰٓ
दिल ने कोई धोखा नहीं दिया, जो कुछ उसने देखा
Surah An-Najm, Verse 11
أَفَتُمَٰرُونَهُۥ عَلَىٰ مَا يَرَىٰ
अब क्या तुम उस चीज़ पर झगड़ते हो, जिसे वह देख रहा है
Surah An-Najm, Verse 12
وَلَقَدۡ رَءَاهُ نَزۡلَةً أُخۡرَىٰ
और निश्चय ही वह उसे एक बार और
Surah An-Najm, Verse 13
عِندَ سِدۡرَةِ ٱلۡمُنتَهَىٰ
सिदरतुल मुन्तहा' (परली सीमा के बेर) के पास उतरते देख चुका है
Surah An-Najm, Verse 14
عِندَهَا جَنَّةُ ٱلۡمَأۡوَىٰٓ
उसी के निकट 'जन्नतुल मावा' (ठिकानेवाली जन्नत) है।
Surah An-Najm, Verse 15
إِذۡ يَغۡشَى ٱلسِّدۡرَةَ مَا يَغۡشَىٰ
जबकि छा रहा था उस बेर पर, जो कुछ छा रहा था
Surah An-Najm, Verse 16
مَا زَاغَ ٱلۡبَصَرُ وَمَا طَغَىٰ
निगाह न तो टेढ़ी हुइ और न हद से आगे बढ़ी
Surah An-Najm, Verse 17
لَقَدۡ رَأَىٰ مِنۡ ءَايَٰتِ رَبِّهِ ٱلۡكُبۡرَىٰٓ
निश्चय ही उसने अपने रब की बड़ी-बड़ी निशानियाँ देखीं
Surah An-Najm, Verse 18
أَفَرَءَيۡتُمُ ٱللَّـٰتَ وَٱلۡعُزَّىٰ
तो क्या तुमने लात और उज़्ज़ा
Surah An-Najm, Verse 19
وَمَنَوٰةَ ٱلثَّالِثَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰٓ
और तीसरी एक और (देवी) मनात पर विचार किया
Surah An-Najm, Verse 20
أَلَكُمُ ٱلذَّكَرُ وَلَهُ ٱلۡأُنثَىٰ
क्या तुम्हारे लिए तो बेटे है उनके लिए बेटियाँ
Surah An-Najm, Verse 21
تِلۡكَ إِذٗا قِسۡمَةٞ ضِيزَىٰٓ
तब तो यह बहुत बेढ़ंगा और अन्यायपूर्ण बँटवारा हुआ
Surah An-Najm, Verse 22
إِنۡ هِيَ إِلَّآ أَسۡمَآءٞ سَمَّيۡتُمُوهَآ أَنتُمۡ وَءَابَآؤُكُم مَّآ أَنزَلَ ٱللَّهُ بِهَا مِن سُلۡطَٰنٍۚ إِن يَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّ وَمَا تَهۡوَى ٱلۡأَنفُسُۖ وَلَقَدۡ جَآءَهُم مِّن رَّبِّهِمُ ٱلۡهُدَىٰٓ
वे तो बस कुछ नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप-दादा ने रख लिए है। अल्लाह ने उनके लिए कोई सनद नहीं उतारी। वे तो केवल अटकल के पीछे चले रहे है और उनके पीछे जो उनके मन की इच्छा होती है। हालाँकि उनके पास उनके रब की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है
Surah An-Najm, Verse 23
أَمۡ لِلۡإِنسَٰنِ مَا تَمَنَّىٰ
(क्या उनकी देवियाँ उन्हें लाभ पहुँचा सकती है) या मनुष्य वह कुछ पा लेगा, जिसकी वह कामना करता है
Surah An-Najm, Verse 24
فَلِلَّهِ ٱلۡأٓخِرَةُ وَٱلۡأُولَىٰ
आख़िरत और दुनिया का मालिक तो अल्लाह ही है
Surah An-Najm, Verse 25
۞وَكَم مِّن مَّلَكٖ فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ لَا تُغۡنِي شَفَٰعَتُهُمۡ شَيۡـًٔا إِلَّا مِنۢ بَعۡدِ أَن يَأۡذَنَ ٱللَّهُ لِمَن يَشَآءُ وَيَرۡضَىٰٓ
आकाशों में कितने ही फ़रिश्ते है, उनकी सिफ़ारिश कुछ काम नहीं आएगी; यदि काम आ सकती है तो इसके पश्चात ही कि अल्लाह अनुमति दे, जिसे चाहे और पसन्द करे।
Surah An-Najm, Verse 26
إِنَّ ٱلَّذِينَ لَا يُؤۡمِنُونَ بِٱلۡأٓخِرَةِ لَيُسَمُّونَ ٱلۡمَلَـٰٓئِكَةَ تَسۡمِيَةَ ٱلۡأُنثَىٰ
जो लोग आख़िरत को नहीं मानते, वे फ़रिश्तों के देवियों के नाम से अभिहित करते है
Surah An-Najm, Verse 27
وَمَا لَهُم بِهِۦ مِنۡ عِلۡمٍۖ إِن يَتَّبِعُونَ إِلَّا ٱلظَّنَّۖ وَإِنَّ ٱلظَّنَّ لَا يُغۡنِي مِنَ ٱلۡحَقِّ شَيۡـٔٗا
हालाँकि इस विषय में उन्हें कोई ज्ञान नहीं। वे केवल अटकल के पीछे चलते है, हालाँकि सत्य से जो लाभ पहुँचता है वह अटकल से कदापि नहीं पहुँच सकता।
Surah An-Najm, Verse 28
فَأَعۡرِضۡ عَن مَّن تَوَلَّىٰ عَن ذِكۡرِنَا وَلَمۡ يُرِدۡ إِلَّا ٱلۡحَيَوٰةَ ٱلدُّنۡيَا
अतः तुम उसको ध्यान में न लाओ जो हमारे ज़िक्र से मुँह मोड़ता है और सांसारिक जीवन के सिवा उसने कुछ नहीं चाहा
Surah An-Najm, Verse 29
ذَٰلِكَ مَبۡلَغُهُم مِّنَ ٱلۡعِلۡمِۚ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَن ضَلَّ عَن سَبِيلِهِۦ وَهُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱهۡتَدَىٰ
ऐसे लोगों के ज्ञान की पहुँच बस यहीं तक है। निश्चय ही तुम्हारा रब ही उसे भली-भाँति जानता है जो उसके मार्ग से भटक गया और वही उसे भी भली-भाँति जानता है जिसने सीधा मार्ग अपनाया
Surah An-Najm, Verse 30
وَلِلَّهِ مَا فِي ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِي ٱلۡأَرۡضِ لِيَجۡزِيَ ٱلَّذِينَ أَسَـٰٓـُٔواْ بِمَا عَمِلُواْ وَيَجۡزِيَ ٱلَّذِينَ أَحۡسَنُواْ بِٱلۡحُسۡنَى
अल्लाह ही का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, ताकि जिन लोगों ने बुराई की वह उन्हें उनके किए का बदला दे। और जिन लोगों ने भलाई की उन्हें अच्छा बदला दे
Surah An-Najm, Verse 31
ٱلَّذِينَ يَجۡتَنِبُونَ كَبَـٰٓئِرَ ٱلۡإِثۡمِ وَٱلۡفَوَٰحِشَ إِلَّا ٱللَّمَمَۚ إِنَّ رَبَّكَ وَٰسِعُ ٱلۡمَغۡفِرَةِۚ هُوَ أَعۡلَمُ بِكُمۡ إِذۡ أَنشَأَكُم مِّنَ ٱلۡأَرۡضِ وَإِذۡ أَنتُمۡ أَجِنَّةٞ فِي بُطُونِ أُمَّهَٰتِكُمۡۖ فَلَا تُزَكُّوٓاْ أَنفُسَكُمۡۖ هُوَ أَعۡلَمُ بِمَنِ ٱتَّقَىٰٓ
वे लोग जो बड़े गुनाहों और अश्लील कर्मों से बचते है, यह और बात है कि संयोगबश कोई छोटी बुराई उनसे हो जाए। निश्चय ही तुम्हारा रब क्षमाशीलता मे बड़ा व्यापक है। वह तुम्हें उस समय से भली-भाँति जानता है, जबकि उसने तुम्हें धरती से पैदा किया और जबकि तुम अपनी माँओ के पेटों में भ्रुण अवस्था में थे। अतः अपने मन की पवित्रता और निखार का दावा न करो। वह उस व्यक्ति को भली-भाँति जानता है, जिसने डर रखा
Surah An-Najm, Verse 32
أَفَرَءَيۡتَ ٱلَّذِي تَوَلَّىٰ
क्या तुमने उस व्यक्ति को देखा जिसने मुँह फेरा
Surah An-Najm, Verse 33
وَأَعۡطَىٰ قَلِيلٗا وَأَكۡدَىٰٓ
और थोड़ा-सा देकर रुक गया
Surah An-Najm, Verse 34
أَعِندَهُۥ عِلۡمُ ٱلۡغَيۡبِ فَهُوَ يَرَىٰٓ
क्या उसके पास परोक्ष का ज्ञान है कि वह देख रहा है
Surah An-Najm, Verse 35
أَمۡ لَمۡ يُنَبَّأۡ بِمَا فِي صُحُفِ مُوسَىٰ
या उसको उन बातों की ख़बर नहीं पहुँची, जो मूसा की किताबों में है
Surah An-Najm, Verse 36
وَإِبۡرَٰهِيمَ ٱلَّذِي وَفَّىٰٓ
और इबराहीम की (किताबों में है), जिसने अल्लाह की बन्दगी का) पूरा-पूरा हक़ अदा कर दिया
Surah An-Najm, Verse 37
أَلَّا تَزِرُ وَازِرَةٞ وِزۡرَ أُخۡرَىٰ
यह कि कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा
Surah An-Najm, Verse 38
وَأَن لَّيۡسَ لِلۡإِنسَٰنِ إِلَّا مَا سَعَىٰ
और यह कि मनुष्य के लिए बस वही है जिसके लिए उसने प्रयास किया
Surah An-Najm, Verse 39
وَأَنَّ سَعۡيَهُۥ سَوۡفَ يُرَىٰ
और यह कि उसका प्रयास शीघ्र ही देखा जाएगा।
Surah An-Najm, Verse 40
ثُمَّ يُجۡزَىٰهُ ٱلۡجَزَآءَ ٱلۡأَوۡفَىٰ
फिर उसे पूरा बदला दिया जाएगा
Surah An-Najm, Verse 41
وَأَنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ ٱلۡمُنتَهَىٰ
और यह कि अन्त में पहुँचना तुम्हारे रब ही की ओर है
Surah An-Najm, Verse 42
وَأَنَّهُۥ هُوَ أَضۡحَكَ وَأَبۡكَىٰ
और यह कि वही है जो हँसाता और रुलाता है
Surah An-Najm, Verse 43
وَأَنَّهُۥ هُوَ أَمَاتَ وَأَحۡيَا
और यह कि वही जो मारता और जिलाता है
Surah An-Najm, Verse 44
وَأَنَّهُۥ خَلَقَ ٱلزَّوۡجَيۡنِ ٱلذَّكَرَ وَٱلۡأُنثَىٰ
और यह कि वही है जिसने नर और मादा के जोड़े पैदा किए
Surah An-Najm, Verse 45
مِن نُّطۡفَةٍ إِذَا تُمۡنَىٰ
एक बूँद से, जब वह टपकाई जाती है
Surah An-Najm, Verse 46
وَأَنَّ عَلَيۡهِ ٱلنَّشۡأَةَ ٱلۡأُخۡرَىٰ
और यह कि उसी के ज़िम्मे दोबारा उठाना भी है
Surah An-Najm, Verse 47
وَأَنَّهُۥ هُوَ أَغۡنَىٰ وَأَقۡنَىٰ
और यह कि वही है जिसने धनी और पूँजीपति बनाया
Surah An-Najm, Verse 48
وَأَنَّهُۥ هُوَ رَبُّ ٱلشِّعۡرَىٰ
और यह कि वही है जो शेअरा (नामक तारे) का रब है
Surah An-Najm, Verse 49
وَأَنَّهُۥٓ أَهۡلَكَ عَادًا ٱلۡأُولَىٰ
और यह कि वही है उसी ने प्राचीन आद को विनष्ट किया
Surah An-Najm, Verse 50
وَثَمُودَاْ فَمَآ أَبۡقَىٰ
और समूद को भी। फिर किसी को बाक़ी न छोड़ा।
Surah An-Najm, Verse 51
وَقَوۡمَ نُوحٖ مِّن قَبۡلُۖ إِنَّهُمۡ كَانُواْ هُمۡ أَظۡلَمَ وَأَطۡغَىٰ
और उससे पहले नूह की क़ौम को भी। बेशक वे ज़ालिम और सरकश थे
Surah An-Najm, Verse 52
وَٱلۡمُؤۡتَفِكَةَ أَهۡوَىٰ
उलट जानेवाली बस्ती को भी फेंक दिया।
Surah An-Najm, Verse 53
فَغَشَّىٰهَا مَا غَشَّىٰ
तो ढँक लिया उसे जिस चीज़ ने ढँक लिया
Surah An-Najm, Verse 54
فَبِأَيِّ ءَالَآءِ رَبِّكَ تَتَمَارَىٰ
फिर तू अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस के विषय में संदेह करेगा
Surah An-Najm, Verse 55
هَٰذَا نَذِيرٞ مِّنَ ٱلنُّذُرِ ٱلۡأُولَىٰٓ
यह पहले के सावधान-कर्ताओं के सदृश एक सावधान करनेवाला है
Surah An-Najm, Verse 56
أَزِفَتِ ٱلۡأٓزِفَةُ
निकट आनेवाली (क़ियामत की घड़ी) निकट आ गई
Surah An-Najm, Verse 57
لَيۡسَ لَهَا مِن دُونِ ٱللَّهِ كَاشِفَةٌ
अल्लाह के सिवा कोई नहीं जो उसे प्रकट कर दे
Surah An-Najm, Verse 58
أَفَمِنۡ هَٰذَا ٱلۡحَدِيثِ تَعۡجَبُونَ
अब क्या तुम इस वाणी पर आश्चर्य करते हो
Surah An-Najm, Verse 59
وَتَضۡحَكُونَ وَلَا تَبۡكُونَ
और हँसते हो और रोते नहीं
Surah An-Najm, Verse 60
وَأَنتُمۡ سَٰمِدُونَ
जबकि तुम घमंडी और ग़ाफिल हो
Surah An-Najm, Verse 61
فَٱسۡجُدُواْۤ لِلَّهِۤ وَٱعۡبُدُواْ۩
अतः अल्लाह को सजदा करो और बन्दगी करो
Surah An-Najm, Verse 62