Surah At-tur - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
وَٱلطُّورِ
गवाह है तूर पर्वत
Surah At-tur, Verse 1
وَكِتَٰبٖ مَّسۡطُورٖ
और लिखी हुई किताब
Surah At-tur, Verse 2
فِي رَقّٖ مَّنشُورٖ
फैले हुए झिल्ली के पन्ने में
Surah At-tur, Verse 3
وَٱلۡبَيۡتِ ٱلۡمَعۡمُورِ
और बसा हुआ घर
Surah At-tur, Verse 4
وَٱلسَّقۡفِ ٱلۡمَرۡفُوعِ
और ऊँची छत
Surah At-tur, Verse 5
وَٱلۡبَحۡرِ ٱلۡمَسۡجُورِ
और उफनता समुद्र
Surah At-tur, Verse 6
إِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ لَوَٰقِعٞ
कि तेरे रब की यातना अवश्य घटित होकर रहेगी
Surah At-tur, Verse 7
مَّا لَهُۥ مِن دَافِعٖ
जिसे टालनेवाला कोई नहीं
Surah At-tur, Verse 8
يَوۡمَ تَمُورُ ٱلسَّمَآءُ مَوۡرٗا
जिस दिल आकाश बुरी तरह डगमगाएगा
Surah At-tur, Verse 9
وَتَسِيرُ ٱلۡجِبَالُ سَيۡرٗا
और पहाड़ चलते-फिरते होंगे
Surah At-tur, Verse 10
فَوَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
तो तबाही है उस दिन, झुठलानेवालों के लिए
Surah At-tur, Verse 11
ٱلَّذِينَ هُمۡ فِي خَوۡضٖ يَلۡعَبُونَ
जो बात बनाने में लगे हुए खेल रहे है
Surah At-tur, Verse 12
يَوۡمَ يُدَعُّونَ إِلَىٰ نَارِ جَهَنَّمَ دَعًّا
जिस दिन वे धक्के दे-देकर जहन्नम की ओर ढकेले जाएँगे
Surah At-tur, Verse 13
هَٰذِهِ ٱلنَّارُ ٱلَّتِي كُنتُم بِهَا تُكَذِّبُونَ
(कहा जाएगा), "यही है वह आग जिसे तुम झुठलाते थे
Surah At-tur, Verse 14
أَفَسِحۡرٌ هَٰذَآ أَمۡ أَنتُمۡ لَا تُبۡصِرُونَ
अब भला (बताओ) यह कोई जादू है या तुम्हे सुझाई नहीं देता
Surah At-tur, Verse 15
ٱصۡلَوۡهَا فَٱصۡبِرُوٓاْ أَوۡ لَا تَصۡبِرُواْ سَوَآءٌ عَلَيۡكُمۡۖ إِنَّمَا تُجۡزَوۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
जाओ, झुलसो उसमें! अब धैर्य से काम लो या धैर्य से काम न लो; तुम्हारे लिए बराबर है। तुम वही बदला पा रहे हो, जो तुम करते रहे थे।
Surah At-tur, Verse 16
إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّـٰتٖ وَنَعِيمٖ
निश्चय ही डर रखनेवाले बाग़ों और नेमतों में होंगे
Surah At-tur, Verse 17
فَٰكِهِينَ بِمَآ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ وَوَقَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ عَذَابَ ٱلۡجَحِيمِ
जो कुछ उनके रब ने उन्हें दिया होगा, उसका आनन्द ले रहे होंगे और इस बात से कि उनके रब ने उन्हें भड़कती हुई आग से बचा लिया
Surah At-tur, Verse 18
كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
मज़े से खाओ और पियो उन कर्मों के बदले में जो तुम करते रहे हो।
Surah At-tur, Verse 19
مُتَّكِـِٔينَ عَلَىٰ سُرُرٖ مَّصۡفُوفَةٖۖ وَزَوَّجۡنَٰهُم بِحُورٍ عِينٖ
पंक्तिबद्ध तख़्तो पर तकिया लगाए हुए होंगे और हम बड़ी आँखोंवाली हूरों (परम रूपवती स्त्रियों) से उनका विवाह कर देंगे
Surah At-tur, Verse 20
وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَٱتَّبَعَتۡهُمۡ ذُرِّيَّتُهُم بِإِيمَٰنٍ أَلۡحَقۡنَا بِهِمۡ ذُرِّيَّتَهُمۡ وَمَآ أَلَتۡنَٰهُم مِّنۡ عَمَلِهِم مِّن شَيۡءٖۚ كُلُّ ٱمۡرِيِٕۭ بِمَا كَسَبَ رَهِينٞ
जो लोग ईमान लाए और उनकी सन्तान ने भी ईमान के साथ उसका अनुसरण किया, उनकी सन्तान को भी हम उनसे मिला देंगे, और उनके कर्म में से कुछ भी कम करके उन्हें नहीं देंगे। हर व्यक्ति अपनी कमाई के बदले में बन्धक है
Surah At-tur, Verse 21
وَأَمۡدَدۡنَٰهُم بِفَٰكِهَةٖ وَلَحۡمٖ مِّمَّا يَشۡتَهُونَ
और हम उन्हें मेवे और मांस, जिसकी वे इच्छा करेंगे दिए चले जाएँगे
Surah At-tur, Verse 22
يَتَنَٰزَعُونَ فِيهَا كَأۡسٗا لَّا لَغۡوٞ فِيهَا وَلَا تَأۡثِيمٞ
वे वहाँ आपस में प्याले हाथोंहाथ ले रहे होंगे, जिसमें न कोई बेहूदगी होगी और न गुनाह पर उभारनेवाली कोई बात
Surah At-tur, Verse 23
۞وَيَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ غِلۡمَانٞ لَّهُمۡ كَأَنَّهُمۡ لُؤۡلُؤٞ مَّكۡنُونٞ
और उनकी सेवा में सुरक्षित मोतियों के सदृश किशोर दौड़ते फिरते होंगे, जो ख़ास उन्हीं (की सेवा) के लिए होंगे
Surah At-tur, Verse 24
وَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖ يَتَسَآءَلُونَ
उनमें से कुछ व्यक्ति कुछ व्यक्तियों की ओर हाल पूछते हुए रुख़ करेंगे
Surah At-tur, Verse 25
قَالُوٓاْ إِنَّا كُنَّا قَبۡلُ فِيٓ أَهۡلِنَا مُشۡفِقِينَ
कहेंगे, "निश्चय ही हम पहले अपने घरवालों में डरते रहे है
Surah At-tur, Verse 26
فَمَنَّ ٱللَّهُ عَلَيۡنَا وَوَقَىٰنَا عَذَابَ ٱلسَّمُومِ
अन्ततः अल्लाह ने हमपर एहसास किया और हमें गर्म विषैली वायु की यातना से बचा लिया
Surah At-tur, Verse 27
إِنَّا كُنَّا مِن قَبۡلُ نَدۡعُوهُۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡبَرُّ ٱلرَّحِيمُ
इससे पहले हम उसे पुकारते रहे है। निश्चय ही वह सदव्यवहार करनेवाला, अत्यन्त दयावान है।
Surah At-tur, Verse 28
فَذَكِّرۡ فَمَآ أَنتَ بِنِعۡمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنٖ وَلَا مَجۡنُونٍ
अतः तुम याद दिलाते रहो। अपने रब की अनुकम्पा से न तुम काहिन (ढोंगी भविष्यवक्ता) हो और न दीवाना
Surah At-tur, Verse 29
أَمۡ يَقُولُونَ شَاعِرٞ نَّتَرَبَّصُ بِهِۦ رَيۡبَ ٱلۡمَنُونِ
या वे कहते है, "वह कवि है जिसके लिए हम काल-चक्र की प्रतीक्षा कर रहे है
Surah At-tur, Verse 30
قُلۡ تَرَبَّصُواْ فَإِنِّي مَعَكُم مِّنَ ٱلۡمُتَرَبِّصِينَ
कह दो, "प्रतीक्षा करो! मैं भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।
Surah At-tur, Verse 31
أَمۡ تَأۡمُرُهُمۡ أَحۡلَٰمُهُم بِهَٰذَآۚ أَمۡ هُمۡ قَوۡمٞ طَاغُونَ
या उनकी बुद्धियाँ यही आदेश दे रही है, या वे ही है सरकश लोग
Surah At-tur, Verse 32
أَمۡ يَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥۚ بَل لَّا يُؤۡمِنُونَ
या वे कहते है, "उसने उस (क़ुरआन) को स्वयं ही कह लिया है?" नहीं, बल्कि वे ईमान नहीं लाते
Surah At-tur, Verse 33
فَلۡيَأۡتُواْ بِحَدِيثٖ مِّثۡلِهِۦٓ إِن كَانُواْ صَٰدِقِينَ
अच्छा यदि वे सच्चे है तो उन्हें उस जैसी वाणी ले आनी चाहिए
Surah At-tur, Verse 34
أَمۡ خُلِقُواْ مِنۡ غَيۡرِ شَيۡءٍ أَمۡ هُمُ ٱلۡخَٰلِقُونَ
या वे बिना किसी चीज़ के पैदा हो गए? या वे स्वयं ही अपने स्रष्टाँ है
Surah At-tur, Verse 35
أَمۡ خَلَقُواْ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَۚ بَل لَّا يُوقِنُونَ
या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया
Surah At-tur, Verse 36
أَمۡ عِندَهُمۡ خَزَآئِنُ رَبِّكَ أَمۡ هُمُ ٱلۡمُصَۜيۡطِرُونَ
या उनके पास तुम्हारे रब के खज़ाने है? या वही उनके परिरक्षक है
Surah At-tur, Verse 37
أَمۡ لَهُمۡ سُلَّمٞ يَسۡتَمِعُونَ فِيهِۖ فَلۡيَأۡتِ مُسۡتَمِعُهُم بِسُلۡطَٰنٖ مُّبِينٍ
या उनके पास कोई सीढ़ी है जिसपर चढ़कर वे (कान लगाकर) सुन लेते है? फिर उनमें से जिसने सुन लिया हो तो वह ले आए स्पष्ट प्रमाण
Surah At-tur, Verse 38
أَمۡ لَهُ ٱلۡبَنَٰتُ وَلَكُمُ ٱلۡبَنُونَ
या उस (अल्लाह) के लिए बेटियाँ है और तुम्हारे अपने लिए बेटे
Surah At-tur, Verse 39
أَمۡ تَسۡـَٔلُهُمۡ أَجۡرٗا فَهُم مِّن مَّغۡرَمٖ مُّثۡقَلُونَ
या तुम उनसे कोई पारिश्रामिक माँगते हो कि वे तावान के बोझ से दबे जा रहे है
Surah At-tur, Verse 40
أَمۡ عِندَهُمُ ٱلۡغَيۡبُ فَهُمۡ يَكۡتُبُونَ
या उनके पास परोक्ष (स्पष्ट) है जिसके आधार पर वे लिए रहे हो
Surah At-tur, Verse 41
أَمۡ يُرِيدُونَ كَيۡدٗاۖ فَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ هُمُ ٱلۡمَكِيدُونَ
या वे कोई चाल चलना चाहते है? तो जिन लोगों ने इनकार किया वही चाल की लपेट में आनेवाले है
Surah At-tur, Verse 42
أَمۡ لَهُمۡ إِلَٰهٌ غَيۡرُ ٱللَّهِۚ سُبۡحَٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يُشۡرِكُونَ
या अल्लाह के अतिरिक्त उनका कोई और पूज्य-प्रभु है? अल्लाह महान और उच्च है उससे जो वे साझी ठहराते है
Surah At-tur, Verse 43
وَإِن يَرَوۡاْ كِسۡفٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ سَاقِطٗا يَقُولُواْ سَحَابٞ مَّرۡكُومٞ
यदि वे आकाश का कोई टुकटा गिरता हुआ देखें तो कहेंगे, "यह तो परत पर परत बादल है
Surah At-tur, Verse 44
فَذَرۡهُمۡ حَتَّىٰ يُلَٰقُواْ يَوۡمَهُمُ ٱلَّذِي فِيهِ يُصۡعَقُونَ
अतः छोडो उन्हें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन का सामना करें जिसमें उनपर वज्रपात होगा
Surah At-tur, Verse 45
يَوۡمَ لَا يُغۡنِي عَنۡهُمۡ كَيۡدُهُمۡ شَيۡـٔٗا وَلَا هُمۡ يُنصَرُونَ
जिस दिन उनकी चाल उनके कुछ भी काम न आएगी और न उन्हें कोई सहायता ही मिलेगी
Surah At-tur, Verse 46
وَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُواْ عَذَابٗا دُونَ ذَٰلِكَ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ
और निश्चय ही जिन लोगों ने ज़ुल्म किया उनके लिए एक यातना है उससे हटकर भी, परन्तु उनमें से अधिकतर जानते नहीं
Surah At-tur, Verse 47
وَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ فَإِنَّكَ بِأَعۡيُنِنَاۖ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ حِينَ تَقُومُ
अपने रब का फ़ैसला आने तक धैर्य से काम लो, तुम तो हमारी आँखों में हो, और जब उठो तो अपने रब का गुणगान करो
Surah At-tur, Verse 48
وَمِنَ ٱلَّيۡلِ فَسَبِّحۡهُ وَإِدۡبَٰرَ ٱلنُّجُومِ
रात की कुछ घड़ियों में भी उसकी तसबीह करो, और सितारों के पीठ फेरने के समय (प्रातःकाल) भी
Surah At-tur, Verse 49