Surah At-tur - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
وَٱلطُّورِ
शपथ है तूर[1] (पर्वत) की
Surah At-tur, Verse 1
وَكِتَٰبٖ مَّسۡطُورٖ
और लिखी हुई पुस्तक[1] की
Surah At-tur, Verse 2
فِي رَقّٖ مَّنشُورٖ
जो झिल्ली के खुले पन्नों में लिखी हुई है।
Surah At-tur, Verse 3
وَٱلۡبَيۡتِ ٱلۡمَعۡمُورِ
तथा बैतुल मअमूर (आबाद[1] घर) की
Surah At-tur, Verse 4
وَٱلسَّقۡفِ ٱلۡمَرۡفُوعِ
तथा ऊँची छत (आकाश) की
Surah At-tur, Verse 5
وَٱلۡبَحۡرِ ٱلۡمَسۡجُورِ
और भड़काये हुए सागर[1] की
Surah At-tur, Verse 6
إِنَّ عَذَابَ رَبِّكَ لَوَٰقِعٞ
वस्तुतः, आपके पालनहार की यातना होकर रहेगी।
Surah At-tur, Verse 7
مَّا لَهُۥ مِن دَافِعٖ
नहीं है उसे कोई रोकने वाला।
Surah At-tur, Verse 8
يَوۡمَ تَمُورُ ٱلسَّمَآءُ مَوۡرٗا
जिस दिन आकाश डगमगायेगा।
Surah At-tur, Verse 9
وَتَسِيرُ ٱلۡجِبَالُ سَيۡرٗا
तथा पर्वत चलेंगे।
Surah At-tur, Verse 10
فَوَيۡلٞ يَوۡمَئِذٖ لِّلۡمُكَذِّبِينَ
तो विनाश है उस दिन, झुठलाने वालों के लिए।
Surah At-tur, Verse 11
ٱلَّذِينَ هُمۡ فِي خَوۡضٖ يَلۡعَبُونَ
जो विवाद में खेल रहे हैं।
Surah At-tur, Verse 12
يَوۡمَ يُدَعُّونَ إِلَىٰ نَارِ جَهَنَّمَ دَعًّا
जिस दिन वे धक्का दिये जायेंगे नरक की अग्नि की ओर।
Surah At-tur, Verse 13
هَٰذِهِ ٱلنَّارُ ٱلَّتِي كُنتُم بِهَا تُكَذِّبُونَ
(उनसे कहा जायेगाः) यही वह नरक है, जिसे तुम झुठला रहे थे।
Surah At-tur, Verse 14
أَفَسِحۡرٌ هَٰذَآ أَمۡ أَنتُمۡ لَا تُبۡصِرُونَ
तो क्या ये जादू है या तुम्हें सुझाई नहीं देता
Surah At-tur, Verse 15
ٱصۡلَوۡهَا فَٱصۡبِرُوٓاْ أَوۡ لَا تَصۡبِرُواْ سَوَآءٌ عَلَيۡكُمۡۖ إِنَّمَا تُجۡزَوۡنَ مَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
इसमें प्रवेश कर जाओ, फिर सहन करो या सहन न करो, तुमपर समान है। तुम उसी का बदला दिये जा रहे हो, जो तुम कर रहे थे।
Surah At-tur, Verse 16
إِنَّ ٱلۡمُتَّقِينَ فِي جَنَّـٰتٖ وَنَعِيمٖ
निश्चय, आज्ञाकारी बाग़ों तथा सुखों में होंगे। प्रसन्न होकर उससे, जो प्रदान किया होगा उन्हें उनके पालनहार ने तथा बचा लेगा उन्हें, उनका पालनहार नरक की यातना से।
Surah At-tur, Verse 17
فَٰكِهِينَ بِمَآ ءَاتَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ وَوَقَىٰهُمۡ رَبُّهُمۡ عَذَابَ ٱلۡجَحِيمِ
प्रसन्न होकर उससे, जो प्रदान किया है उनहें उनके पालनहार ने तथा बचा लेगा उनहें उनका पालनहार नरक की यातना से।
Surah At-tur, Verse 18
كُلُواْ وَٱشۡرَبُواْ هَنِيٓـَٔۢا بِمَا كُنتُمۡ تَعۡمَلُونَ
(उनसे कहा जायेगाः) खाओ और पियो मनमानी, उसके बदले में, जो तुम कर रहे थे।
Surah At-tur, Verse 19
مُتَّكِـِٔينَ عَلَىٰ سُرُرٖ مَّصۡفُوفَةٖۖ وَزَوَّجۡنَٰهُم بِحُورٍ عِينٖ
तकिये लगाये हुए होंगे तख़्तों पर बराबर बिछे हुए तथा हम विवाह देंगे उनको बड़ी आँखों वाली स्त्रियों से।
Surah At-tur, Verse 20
وَٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَٱتَّبَعَتۡهُمۡ ذُرِّيَّتُهُم بِإِيمَٰنٍ أَلۡحَقۡنَا بِهِمۡ ذُرِّيَّتَهُمۡ وَمَآ أَلَتۡنَٰهُم مِّنۡ عَمَلِهِم مِّن شَيۡءٖۚ كُلُّ ٱمۡرِيِٕۭ بِمَا كَسَبَ رَهِينٞ
और जो लोग ईमान लाये और अनुसरण किया उनका, उनकी संतान ने ईमान के साथ, तो ह्म मिला देंगे उनकी संतान को उनके साथ तथा नहीं कम करेंगे उनके कर्मों में से कुछ, प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों का बंधक[1] है।
Surah At-tur, Verse 21
وَأَمۡدَدۡنَٰهُم بِفَٰكِهَةٖ وَلَحۡمٖ مِّمَّا يَشۡتَهُونَ
तथा अधिक देंगे उन्हें मेवे तथा मांस जिसकी वे रूचि रखेंगे।
Surah At-tur, Verse 22
يَتَنَٰزَعُونَ فِيهَا كَأۡسٗا لَّا لَغۡوٞ فِيهَا وَلَا تَأۡثِيمٞ
वे एक-दूसरे से उसमें लेते रहेंगे मदिरा के प्याले, जिसमें न कोई व्यर्थ बात होगी, न कोई पाप की बात।
Surah At-tur, Verse 23
۞وَيَطُوفُ عَلَيۡهِمۡ غِلۡمَانٞ لَّهُمۡ كَأَنَّهُمۡ لُؤۡلُؤٞ مَّكۡنُونٞ
और फिरते रहेंगे उनकी सेवा में (सुन्दर) बालक, जैसे वह छुपाये हुए मोती हों।
Surah At-tur, Verse 24
وَأَقۡبَلَ بَعۡضُهُمۡ عَلَىٰ بَعۡضٖ يَتَسَآءَلُونَ
और वे (स्वर्ग वासी) सम्मुख होंगे एक-दूसरे के प्रश्न करते हुए।
Surah At-tur, Verse 25
قَالُوٓاْ إِنَّا كُنَّا قَبۡلُ فِيٓ أَهۡلِنَا مُشۡفِقِينَ
वे कहेंगेः इससे पूर्व[1] हम अपने परिजनों में डरते थे।
Surah At-tur, Verse 26
فَمَنَّ ٱللَّهُ عَلَيۡنَا وَوَقَىٰنَا عَذَابَ ٱلسَّمُومِ
तो अल्लाह ने उपकार किया हमपर तथा हमें सुरक्षित कर दिया तापलहरी की यातना से।
Surah At-tur, Verse 27
إِنَّا كُنَّا مِن قَبۡلُ نَدۡعُوهُۖ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلۡبَرُّ ٱلرَّحِيمُ
इससे पूर्व[1] हम वंदना किया करते थे उसकी। निश्चय वह अति परोपकारी, दयावान् है।
Surah At-tur, Verse 28
فَذَكِّرۡ فَمَآ أَنتَ بِنِعۡمَتِ رَبِّكَ بِكَاهِنٖ وَلَا مَجۡنُونٍ
तो आप शिक्षा देते रहें। क्योंकि आपके पालनहार की अनुग्रह से न आप काहिन (ज्योतिषि) हैं और न पागल।
Surah At-tur, Verse 29
أَمۡ يَقُولُونَ شَاعِرٞ نَّتَرَبَّصُ بِهِۦ رَيۡبَ ٱلۡمَنُونِ
क्या वे कहते हैं कि ये कवि हैं, हम प्रतीक्षा कर रहे हैं उसके साथ कालचक्र की
Surah At-tur, Verse 30
قُلۡ تَرَبَّصُواْ فَإِنِّي مَعَكُم مِّنَ ٱلۡمُتَرَبِّصِينَ
आप कह दें कि तुम प्रतीक्षा करते रहो, मैं (भी) तुम्हारे साथ प्रतीक्षा करता हूँ।
Surah At-tur, Verse 31
أَمۡ تَأۡمُرُهُمۡ أَحۡلَٰمُهُم بِهَٰذَآۚ أَمۡ هُمۡ قَوۡمٞ طَاغُونَ
क्या उन्हें सिखाती हैं उनकी समझ ये बातें अथवा वह उल्लंघनकारी लोग हैं
Surah At-tur, Verse 32
أَمۡ يَقُولُونَ تَقَوَّلَهُۥۚ بَل لَّا يُؤۡمِنُونَ
क्या वे कहते हैं कि इस (नबी) ने इस (क़ुर्आन) को स्वयं बना लिया है? वास्तव में, वे ईमान लाना नहीं चाहते।
Surah At-tur, Verse 33
فَلۡيَأۡتُواْ بِحَدِيثٖ مِّثۡلِهِۦٓ إِن كَانُواْ صَٰدِقِينَ
तो वे ले आयें इस (क़ुर्आन) के समान कोई एक बात, यदि वे सच्चे हैं।
Surah At-tur, Verse 34
أَمۡ خُلِقُواْ مِنۡ غَيۡرِ شَيۡءٍ أَمۡ هُمُ ٱلۡخَٰلِقُونَ
क्या वे पैदा हो गये हैं बिना[1] किसी के पैदा किये अथवा वे स्वयं पैदा करने वाले हैं
Surah At-tur, Verse 35
أَمۡ خَلَقُواْ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلۡأَرۡضَۚ بَل لَّا يُوقِنُونَ
या उन्होंने ही उत्पत्ति की है आकाशों तथा धरती की? वास्तव में, वे विश्वास ही नहीं रखते।
Surah At-tur, Verse 36
أَمۡ عِندَهُمۡ خَزَآئِنُ رَبِّكَ أَمۡ هُمُ ٱلۡمُصَۜيۡطِرُونَ
अथवा उनके पास आपके पालनहार के कोषागार हैं या वही (उसके) अधिकारी हैं
Surah At-tur, Verse 37
أَمۡ لَهُمۡ سُلَّمٞ يَسۡتَمِعُونَ فِيهِۖ فَلۡيَأۡتِ مُسۡتَمِعُهُم بِسُلۡطَٰنٖ مُّبِينٍ
अथवा उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसे लगाकर सुनते[1] हैं? तो उनका सुनने वाला कोई खुला प्रमाण प्रस्तुत करे।
Surah At-tur, Verse 38
أَمۡ لَهُ ٱلۡبَنَٰتُ وَلَكُمُ ٱلۡبَنُونَ
क्या अल्लाह के लिए पुत्रियाँ हों तुम्हारे लिए पुत्र हों।
Surah At-tur, Verse 39
أَمۡ تَسۡـَٔلُهُمۡ أَجۡرٗا فَهُم مِّن مَّغۡرَمٖ مُّثۡقَلُونَ
या आप माँग कर रहे हैं उनसे किसी पारिश्रमिक[1] की, तो वे उसके बोझ से दबे जा रहे हैं
Surah At-tur, Verse 40
أَمۡ عِندَهُمُ ٱلۡغَيۡبُ فَهُمۡ يَكۡتُبُونَ
अथवा उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है, जिसे वे लिख[1] रहे हैं
Surah At-tur, Verse 41
أَمۡ يُرِيدُونَ كَيۡدٗاۖ فَٱلَّذِينَ كَفَرُواْ هُمُ ٱلۡمَكِيدُونَ
या वे चाहते हैं कोई चाल चलना? तो जो काफ़िर हो गये, वे उस चाल में ग्रस्त होंगे।
Surah At-tur, Verse 42
أَمۡ لَهُمۡ إِلَٰهٌ غَيۡرُ ٱللَّهِۚ سُبۡحَٰنَ ٱللَّهِ عَمَّا يُشۡرِكُونَ
अथवा उनका कोई ओर उपास्य (पूज्य) है अल्लाह के सिवा? अल्लाह पवित्र है उनके शिर्क से।
Surah At-tur, Verse 43
وَإِن يَرَوۡاْ كِسۡفٗا مِّنَ ٱلسَّمَآءِ سَاقِطٗا يَقُولُواْ سَحَابٞ مَّرۡكُومٞ
यदि वे देख लें कोई खण्ड आकाश से गिरता हुआ, तो कहेंगे कि तह पर तह बादल है।
Surah At-tur, Verse 44
فَذَرۡهُمۡ حَتَّىٰ يُلَٰقُواْ يَوۡمَهُمُ ٱلَّذِي فِيهِ يُصۡعَقُونَ
अतः, आप छोड़ दें उन्हें, यहाँ तक कि वे मिल जायें अपने उस दिन से, जिसमें[1] इन्हें अपनी सुध्द नहीं होगी।
Surah At-tur, Verse 45
يَوۡمَ لَا يُغۡنِي عَنۡهُمۡ كَيۡدُهُمۡ شَيۡـٔٗا وَلَا هُمۡ يُنصَرُونَ
उस दिन नहीं काम आयेगी उनके, उनकी चाल कुछ और न उनकी सहायता की जायेगी।
Surah At-tur, Verse 46
وَإِنَّ لِلَّذِينَ ظَلَمُواْ عَذَابٗا دُونَ ذَٰلِكَ وَلَٰكِنَّ أَكۡثَرَهُمۡ لَا يَعۡلَمُونَ
तथा निश्चय अत्याचारियों के लिए एक यातना है इसके अतिरिक्त[1] (भी)। परन्तु, उनमें से अधिक्तर ज्ञान नहीं रखते हैं।
Surah At-tur, Verse 47
وَٱصۡبِرۡ لِحُكۡمِ رَبِّكَ فَإِنَّكَ بِأَعۡيُنِنَاۖ وَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ حِينَ تَقُومُ
और (हे नबी!) आप सहन करें अपने पालनहार का आदेश आने तक। वास्तव में, आप हमारी रक्षा में हैं तथा पवित्रता का वर्णन करें अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ जब जागते हों।
Surah At-tur, Verse 48
وَمِنَ ٱلَّيۡلِ فَسَبِّحۡهُ وَإِدۡبَٰرَ ٱلنُّجُومِ
तथा रात्री में (भी) उसकी पवित्रता का वर्णन करें और तारों के डूबने के[1] पश्चात् (भी)।
Surah At-tur, Verse 49