Surah At-Takwir - Hindi Translation by Maulana Azizul Haque Al Umari
إِذَا ٱلشَّمۡسُ كُوِّرَتۡ
जब सूर्य लपेट दिया जायेगा।
Surah At-Takwir, Verse 1
وَإِذَا ٱلنُّجُومُ ٱنكَدَرَتۡ
और जब तारे धुमिल हो जायेंगे।
Surah At-Takwir, Verse 2
وَإِذَا ٱلۡجِبَالُ سُيِّرَتۡ
जब पर्वत चलाये जायेंगे।
Surah At-Takwir, Verse 3
وَإِذَا ٱلۡعِشَارُ عُطِّلَتۡ
और जब दस महीने की गाभिन ऊँटनियाँ छोड़ दी जायेंगी।
Surah At-Takwir, Verse 4
وَإِذَا ٱلۡوُحُوشُ حُشِرَتۡ
और जब वन् पशु एकत्र कर दिये जायेंगे।
Surah At-Takwir, Verse 5
وَإِذَا ٱلۡبِحَارُ سُجِّرَتۡ
और जब सागर भड़काये जायेंगे।
Surah At-Takwir, Verse 6
وَإِذَا ٱلنُّفُوسُ زُوِّجَتۡ
और जब प्राण जोड़ दिये जायेंगे।
Surah At-Takwir, Verse 7
وَإِذَا ٱلۡمَوۡءُۥدَةُ سُئِلَتۡ
और जब जीवित गाड़ी गयी कन्या से प्रश्न किया जायेगाः
Surah At-Takwir, Verse 8
بِأَيِّ ذَنۢبٖ قُتِلَتۡ
कि वह किस अपराध के कारण वध की गयी।
Surah At-Takwir, Verse 9
وَإِذَا ٱلصُّحُفُ نُشِرَتۡ
तथा जब कर्मपत्र फैला दिये जायेंगे।
Surah At-Takwir, Verse 10
وَإِذَا ٱلسَّمَآءُ كُشِطَتۡ
और जब आकाश की खाल उतार दी जायेगी।
Surah At-Takwir, Verse 11
وَإِذَا ٱلۡجَحِيمُ سُعِّرَتۡ
और जब नरक दहकाई जायेगी।
Surah At-Takwir, Verse 12
وَإِذَا ٱلۡجَنَّةُ أُزۡلِفَتۡ
और जब स्वर्ग समीप लाई जायेगी।
Surah At-Takwir, Verse 13
عَلِمَتۡ نَفۡسٞ مَّآ أَحۡضَرَتۡ
तो प्रत्येक प्राणी जान लेगा कि वह क्या लेकर आया है।
Surah At-Takwir, Verse 14
فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلۡخُنَّسِ
मैं शपथ लेता हूँ उन तारों की, जो पीछे हट जाते हैं।
Surah At-Takwir, Verse 15
ٱلۡجَوَارِ ٱلۡكُنَّسِ
जो चलते-चलते छुप जाते हैं।
Surah At-Takwir, Verse 16
وَٱلَّيۡلِ إِذَا عَسۡعَسَ
और रात की (शपथ), जब समाप्त होने लगती है।
Surah At-Takwir, Verse 17
وَٱلصُّبۡحِ إِذَا تَنَفَّسَ
तथा भोर की, जब उजाला होने लगता है।
Surah At-Takwir, Verse 18
إِنَّهُۥ لَقَوۡلُ رَسُولٖ كَرِيمٖ
ये (क़ुर्आन) एक मान्यवर स्वर्ग दूत का लाया हुआ कथन है।
Surah At-Takwir, Verse 19
ذِي قُوَّةٍ عِندَ ذِي ٱلۡعَرۡشِ مَكِينٖ
जो शक्तिशाली है। अर्श (सिंहासन) के मालिक के पास उच्च पद वाला है।
Surah At-Takwir, Verse 20
مُّطَاعٖ ثَمَّ أَمِينٖ
जिसकी बात मानी जाती है और बड़ा अमानतदार है।
Surah At-Takwir, Verse 21
وَمَا صَاحِبُكُم بِمَجۡنُونٖ
और तुम्हारा साथी उन्मत नहीं है।
Surah At-Takwir, Verse 22
وَلَقَدۡ رَءَاهُ بِٱلۡأُفُقِ ٱلۡمُبِينِ
उसने उसे आकाश में खुले रूप से देखा है।
Surah At-Takwir, Verse 23
وَمَا هُوَ عَلَى ٱلۡغَيۡبِ بِضَنِينٖ
वह परोक्ष (ग़ैब) की बात बताने में प्रलोभी नहीं है।
Surah At-Takwir, Verse 24
وَمَا هُوَ بِقَوۡلِ شَيۡطَٰنٖ رَّجِيمٖ
ये धिक्कारी शैतान का कथन नहीं है।
Surah At-Takwir, Verse 25
فَأَيۡنَ تَذۡهَبُونَ
फिर तुम कहाँ जा रहे हो
Surah At-Takwir, Verse 26
إِنۡ هُوَ إِلَّا ذِكۡرٞ لِّلۡعَٰلَمِينَ
ये संसार वासियों के लिए एक स्मृति (शास्त्र) है।
Surah At-Takwir, Verse 27
لِمَن شَآءَ مِنكُمۡ أَن يَسۡتَقِيمَ
तुममें से उसके लिए, जो सुधरना चाहता हो।
Surah At-Takwir, Verse 28
وَمَا تَشَآءُونَ إِلَّآ أَن يَشَآءَ ٱللَّهُ رَبُّ ٱلۡعَٰلَمِينَ
तथा तुम विश्व के पालनहार के चाहे बिना कुछ नहीं कर सकते।
Surah At-Takwir, Verse 29