Surah Al-Inshiqaq - Hindi Translation by Muhammad Farooq Khan And Muhammad Ahmed
إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنشَقَّتۡ
जबकि आकाश फट जाएगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 1
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और वह अपने रब की सुनेगा, और उसे यही चाहिए भी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 2
وَإِذَا ٱلۡأَرۡضُ مُدَّتۡ
जब धरती फैला दी जाएगी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 3
وَأَلۡقَتۡ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتۡ
और जो कुछ उसके भीतर है उसे बाहर डालकर खाली हो जाएगी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 4
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और वह अपने रब की सुनेगी, और उसे यही चाहिए भी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 5
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡإِنسَٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدۡحٗا فَمُلَٰقِيهِ
ऐ मनुष्य! तू मशक़्क़त करता हुआ अपने रब ही की ओर खिंचा चला जा रहा है और अन्ततः उससे मिलने वाला है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 6
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ
फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया
Surah Al-Inshiqaq, Verse 7
فَسَوۡفَ يُحَاسَبُ حِسَابٗا يَسِيرٗا
तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 8
وَيَنقَلِبُ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورٗا
और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 9
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ وَرَآءَ ظَهۡرِهِۦ
और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया
Surah Al-Inshiqaq, Verse 10
فَسَوۡفَ يَدۡعُواْ ثُبُورٗا
तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 11
وَيَصۡلَىٰ سَعِيرًا
और दहकती आग में जा पड़ेगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 12
إِنَّهُۥ كَانَ فِيٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورًا
वह अपने लोगों में मग्न था
Surah Al-Inshiqaq, Verse 13
إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ
उसने यह समझ रखा था कि उसे कभी पलटना नहीं है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 14
بَلَىٰٓۚ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرٗا
क्यों नहीं, निश्चय ही उसका रब तो उसे देख रहा था
Surah Al-Inshiqaq, Verse 15
فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلشَّفَقِ
अतः कुछ नहीं, मैं क़सम खाता हूँ सांध्य-लालिमा की
Surah Al-Inshiqaq, Verse 16
وَٱلَّيۡلِ وَمَا وَسَقَ
और रात की और उसके समेट लेने की
Surah Al-Inshiqaq, Verse 17
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ
और चन्द्रमा की जबकि वह पूर्ण हो जाता है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 18
لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٖ
निश्चय ही तुम्हें मंजिल पर मंजिल चढ़ना है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 19
فَمَا لَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
फिर उन्हें क्या हो गया है कि ईमान नहीं लाते
Surah Al-Inshiqaq, Verse 20
وَإِذَا قُرِئَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقُرۡءَانُ لَا يَسۡجُدُونَۤ۩
और जब उन्हें कुरआन पढ़कर सुनाया जाता है तो सजदे में नहीं गिर पड़ते
Surah Al-Inshiqaq, Verse 21
بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ يُكَذِّبُونَ
नहीं, बल्कि इनकार करनेवाले तो झुठलाते है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 22
وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا يُوعُونَ
हालाँकि जो कुछ वे अपने अन्दर एकत्र कर रहे है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 23
فَبَشِّرۡهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
अतः उन्हें दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो
Surah Al-Inshiqaq, Verse 24
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ لَهُمۡ أَجۡرٌ غَيۡرُ مَمۡنُونِۭ
अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए कभी न समाप्त॥ होनेवाला प्रतिदान है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 25