Surah Al-Inshiqaq - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
إِذَا ٱلسَّمَآءُ ٱنشَقَّتۡ
जब आसमान फट जाएगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 1
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगा और उसे वाजिब भी यही है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 2
وَإِذَا ٱلۡأَرۡضُ مُدَّتۡ
और जब ज़मीन (बराबर करके) तान दी जाएगी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 3
وَأَلۡقَتۡ مَا فِيهَا وَتَخَلَّتۡ
और जो कुछ उसमें है उगल देगी और बिल्कुल ख़ाली हो जाएगी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 4
وَأَذِنَتۡ لِرَبِّهَا وَحُقَّتۡ
और अपने परवरदिगार का हुक्म बजा लाएगी
Surah Al-Inshiqaq, Verse 5
يَـٰٓأَيُّهَا ٱلۡإِنسَٰنُ إِنَّكَ كَادِحٌ إِلَىٰ رَبِّكَ كَدۡحٗا فَمُلَٰقِيهِ
और उस पर लाज़िम भी यही है (तो क़यामत आ जाएगी) ऐ इन्सान तू अपने परवरदिगार की हुज़ूरी की कोशिश करता है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 6
فَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ بِيَمِينِهِۦ
तो तू (एक न एक दिन) उसके सामने हाज़िर होगा फिर (उस दिन) जिसका नामाए आमाल उसके दाहिने हाथ में दिया जाएगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 7
فَسَوۡفَ يُحَاسَبُ حِسَابٗا يَسِيرٗا
उससे तो हिसाब आसान तरीके से लिया जाएगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 8
وَيَنقَلِبُ إِلَىٰٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورٗا
और (फिर) वह अपने (मोमिनीन के) क़बीले की तरफ ख़ुश ख़ुश पलटेगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 9
وَأَمَّا مَنۡ أُوتِيَ كِتَٰبَهُۥ وَرَآءَ ظَهۡرِهِۦ
लेकिन जिस शख़्श को उसका नामए आमल उसकी पीठ के पीछे से दिया जाएगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 10
فَسَوۡفَ يَدۡعُواْ ثُبُورٗا
वह तो मौत की दुआ करेगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 11
وَيَصۡلَىٰ سَعِيرًا
और जहन्नुम वासिल होगा
Surah Al-Inshiqaq, Verse 12
إِنَّهُۥ كَانَ فِيٓ أَهۡلِهِۦ مَسۡرُورًا
ये शख़्श तो अपने लड़के बालों में मस्त रहता था
Surah Al-Inshiqaq, Verse 13
إِنَّهُۥ ظَنَّ أَن لَّن يَحُورَ
और समझता था कि कभी (ख़ुदा की तरफ) फिर कर जाएगा ही नहीं
Surah Al-Inshiqaq, Verse 14
بَلَىٰٓۚ إِنَّ رَبَّهُۥ كَانَ بِهِۦ بَصِيرٗا
हाँ उसका परवरदिगार यक़ीनी उसको देख भाल कर रहा है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 15
فَلَآ أُقۡسِمُ بِٱلشَّفَقِ
तो मुझे शाम की मुर्ख़ी की क़सम
Surah Al-Inshiqaq, Verse 16
وَٱلَّيۡلِ وَمَا وَسَقَ
और रात की और उन चीज़ों की जिन्हें ये ढाँक लेती है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 17
وَٱلۡقَمَرِ إِذَا ٱتَّسَقَ
और चाँद की जब पूरा हो जाए
Surah Al-Inshiqaq, Verse 18
لَتَرۡكَبُنَّ طَبَقًا عَن طَبَقٖ
कि तुम लोग ज़रूर एक सख्ती के बाद दूसरी सख्ती में फँसोगे
Surah Al-Inshiqaq, Verse 19
فَمَا لَهُمۡ لَا يُؤۡمِنُونَ
तो उन लोगों को क्या हो गया है कि ईमान नहीं ईमान नहीं लाते
Surah Al-Inshiqaq, Verse 20
وَإِذَا قُرِئَ عَلَيۡهِمُ ٱلۡقُرۡءَانُ لَا يَسۡجُدُونَۤ۩
और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो (ख़ुदा का) सजदा नहीं करते (21) (सजदा)
Surah Al-Inshiqaq, Verse 21
بَلِ ٱلَّذِينَ كَفَرُواْ يُكَذِّبُونَ
बल्कि काफ़िर लोग तो (और उसे) झुठलाते हैं
Surah Al-Inshiqaq, Verse 22
وَٱللَّهُ أَعۡلَمُ بِمَا يُوعُونَ
और जो बातें ये लोग अपने दिलों में छिपाते हैं ख़ुदा उसे ख़ूब जानता है
Surah Al-Inshiqaq, Verse 23
فَبَشِّرۡهُم بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
तो (ऐ रसूल) उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ख़ुशख़बरी दे दो
Surah Al-Inshiqaq, Verse 24
إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ وَعَمِلُواْ ٱلصَّـٰلِحَٰتِ لَهُمۡ أَجۡرٌ غَيۡرُ مَمۡنُونِۭ
मगर जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे अच्छे काम किए उनके लिए बेइन्तिहा अज्र (व सवाब है)
Surah Al-Inshiqaq, Verse 25