Surah Al-Fajr - Hindi Translation by Suhel Farooq Khan And Saifur Rahman Nadwi
وَٱلۡفَجۡرِ
सुबह की क़सम
Surah Al-Fajr, Verse 1
وَلَيَالٍ عَشۡرٖ
और दस रातों की
Surah Al-Fajr, Verse 2
وَٱلشَّفۡعِ وَٱلۡوَتۡرِ
और ज़ुफ्त व ताक़ की
Surah Al-Fajr, Verse 3
وَٱلَّيۡلِ إِذَا يَسۡرِ
और रात की जब आने लगे
Surah Al-Fajr, Verse 4
هَلۡ فِي ذَٰلِكَ قَسَمٞ لِّذِي حِجۡرٍ
अक्लमन्द के वास्ते तो ज़रूर बड़ी क़सम है (कि कुफ्फ़ार पर ज़रूर अज़ाब होगा)
Surah Al-Fajr, Verse 5
أَلَمۡ تَرَ كَيۡفَ فَعَلَ رَبُّكَ بِعَادٍ
क्या तुमने देखा नहीं कि तुम्हारे आद के साथ क्या किया
Surah Al-Fajr, Verse 6
إِرَمَ ذَاتِ ٱلۡعِمَادِ
यानि इरम वाले दराज़ क़द
Surah Al-Fajr, Verse 7
ٱلَّتِي لَمۡ يُخۡلَقۡ مِثۡلُهَا فِي ٱلۡبِلَٰدِ
जिनका मिसल तमाम (दुनिया के) शहरों में कोई पैदा ही नहीं किया गया
Surah Al-Fajr, Verse 8
وَثَمُودَ ٱلَّذِينَ جَابُواْ ٱلصَّخۡرَ بِٱلۡوَادِ
और समूद के साथ (क्या किया) जो वादी (क़रा) में पत्थर तराश कर घर बनाते थे
Surah Al-Fajr, Verse 9
وَفِرۡعَوۡنَ ذِي ٱلۡأَوۡتَادِ
और फिरऔन के साथ (क्या किया) जो (सज़ा के लिए) मेख़े रखता था
Surah Al-Fajr, Verse 10
ٱلَّذِينَ طَغَوۡاْ فِي ٱلۡبِلَٰدِ
ये लोग मुख़तलिफ़ शहरों में सरकश हो रहे थे
Surah Al-Fajr, Verse 11
فَأَكۡثَرُواْ فِيهَا ٱلۡفَسَادَ
और उनमें बहुत से फ़साद फैला रखे थे
Surah Al-Fajr, Verse 12
فَصَبَّ عَلَيۡهِمۡ رَبُّكَ سَوۡطَ عَذَابٍ
तो तुम्हारे परवरदिगार ने उन पर अज़ाब का कोड़ा लगाया
Surah Al-Fajr, Verse 13
إِنَّ رَبَّكَ لَبِٱلۡمِرۡصَادِ
बेशक तुम्हारा परवरदिगार ताक में है
Surah Al-Fajr, Verse 14
فَأَمَّا ٱلۡإِنسَٰنُ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ رَبُّهُۥ فَأَكۡرَمَهُۥ وَنَعَّمَهُۥ فَيَقُولُ رَبِّيٓ أَكۡرَمَنِ
लेकिन इन्सान जब उसको उसका परवरदिगार (इस तरह) आज़माता है कि उसको इज्ज़त व नेअमत देता है, तो कहता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे इज्ज़त दी है
Surah Al-Fajr, Verse 15
وَأَمَّآ إِذَا مَا ٱبۡتَلَىٰهُ فَقَدَرَ عَلَيۡهِ رِزۡقَهُۥ فَيَقُولُ رَبِّيٓ أَهَٰنَنِ
मगर जब उसको (इस तरह) आज़माता है कि उस पर रोज़ी को तंग कर देता है बोल उठता है कि मेरे परवरदिगार ने मुझे ज़लील किया
Surah Al-Fajr, Verse 16
كَلَّاۖ بَل لَّا تُكۡرِمُونَ ٱلۡيَتِيمَ
हरगिज़ नहीं बल्कि तुम लोग न यतीम की ख़ातिरदारी करते हो
Surah Al-Fajr, Verse 17
وَلَا تَحَـٰٓضُّونَ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلۡمِسۡكِينِ
और न मोहताज को खाना खिलाने की तरग़ीब देते हो
Surah Al-Fajr, Verse 18
وَتَأۡكُلُونَ ٱلتُّرَاثَ أَكۡلٗا لَّمّٗا
और मीरारा के माल (हलाल व हराम) को समेट कर चख जाते हो
Surah Al-Fajr, Verse 19
وَتُحِبُّونَ ٱلۡمَالَ حُبّٗا جَمّٗا
और माल को बहुत ही अज़ीज़ रखते हो
Surah Al-Fajr, Verse 20
كَلَّآۖ إِذَا دُكَّتِ ٱلۡأَرۡضُ دَكّٗا دَكّٗا
सुन रखो कि जब ज़मीन कूट कूट कर रेज़ा रेज़ा कर दी जाएगी
Surah Al-Fajr, Verse 21
وَجَآءَ رَبُّكَ وَٱلۡمَلَكُ صَفّٗا صَفّٗا
और तुम्हारे परवरदिगार का हुक्म और फ़रिश्ते कतार के कतार आ जाएँगे
Surah Al-Fajr, Verse 22
وَجِاْيٓءَ يَوۡمَئِذِۭ بِجَهَنَّمَۚ يَوۡمَئِذٖ يَتَذَكَّرُ ٱلۡإِنسَٰنُ وَأَنَّىٰ لَهُ ٱلذِّكۡرَىٰ
और उस दिन जहन्नुम सामने कर दी जाएगी उस दिन इन्सान चौंकेगा मगर अब चौंकना कहाँ (फ़ायदा देगा)
Surah Al-Fajr, Verse 23
يَقُولُ يَٰلَيۡتَنِي قَدَّمۡتُ لِحَيَاتِي
(उस वक्त) क़हेगा कि काश मैने अपनी (इस) ज़िन्दगी के वास्ते कुछ पहले भेजा होता
Surah Al-Fajr, Verse 24
فَيَوۡمَئِذٖ لَّا يُعَذِّبُ عَذَابَهُۥٓ أَحَدٞ
तो उस दिन ख़ुदा ऐसा अज़ाब करेगा कि किसी ने वैसा अज़ाब न किया होगा
Surah Al-Fajr, Verse 25
وَلَا يُوثِقُ وَثَاقَهُۥٓ أَحَدٞ
और न कोई उसके जकड़ने की तरह जकड़ेगा
Surah Al-Fajr, Verse 26
يَـٰٓأَيَّتُهَا ٱلنَّفۡسُ ٱلۡمُطۡمَئِنَّةُ
(और कुछ लोगों से कहेगा) ऐ इत्मेनान पाने वाली जान
Surah Al-Fajr, Verse 27
ٱرۡجِعِيٓ إِلَىٰ رَبِّكِ رَاضِيَةٗ مَّرۡضِيَّةٗ
अपने परवरदिगार की तरफ़ चल तू उससे ख़ुश वह तुझ से राज़ी
Surah Al-Fajr, Verse 28
فَٱدۡخُلِي فِي عِبَٰدِي
तो मेरे (ख़ास) बन्दों में शामिल हो जा
Surah Al-Fajr, Verse 29
وَٱدۡخُلِي جَنَّتِي
और मेरे बेहिश्त में दाख़िल हो जा
Surah Al-Fajr, Verse 30